निपाह वायरस से बचाव की दवा का परीक्षण

अप्रैल 2019 इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (IISER) पुणे के शोधकर्ताओं ने आणविक मॉडलिंग दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए, निपाह वायरस के लिए दवा लक्ष्यों (drug targets) की पहचान की है। शोधकर्ताओं ने निपाह वायरस के प्रोटीन के खिलाफ, 4 रुकावट डालने वाले पेप्टाइड और 146 छोटे अणु इन्हिबटर की पहचान की है। अवरोधकों (इन्हिबटर) में निपाह वायरस के अलग-अलग नस्लों के द्वारा पहुंचाए जाने वाले नुकसान को रोकने की ताकत होती है।

निपाह वायरस

  • निपाह वायरस एक आरएनए वायरस जिसकी आनुवंशिक सामग्री आरएनए एक प्रोटीन आवरण से से घिरी हुई होती है। सभी वायरस की तरह, यह स्वयं की प्रतियां बनाता है और कोशिका पर आक्रमण करके उसे नष्ट कर देता है।
  • वायरस का प्रोटीन आवरण छः प्रोटीनों से बना होता है और इसके आरएनए मेजबान कोशिकाओं की प्रतिक्रियाओं से खुद का बचाव करने के लिए तीन और प्रोटीन का उत्पादन करते हैं।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार वर्ष 1998 में मलेशिया के सुंगई निपाह गांव में पहली बार इस वायरस का पता चला था। इसी गांव के नाम पर ही इसका नाम निपाह पड़ा। तब सुअर पालने वाले किसान इस वायरस से संक्रमित मिले थे।
  • फ्रूट बैट्स (चमगादड़) इस वायरस को एक जगह से दूसरी जगह फैलाने का काम करते हैं। निपाह वायरस इंसानों के अलावा जानवरों को भी प्रभावित करता है।
  • इसके लक्षणों में विषाणु ज्वर (viral fever) होने के साथ सिरदर्द, उल्टी आना, सांस लेने में तकलीफ और चक्कर आने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
  • यह एक लाइलाज बीमारी है, मई 2018 में इस बीमारी के प्रकोप से भारतीय राज्य केरल में कम से कम 17 लोगों की मौत हो गई थी।