नीलकुरिंजी संरक्षित पौधों की सूची में शामिल

भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने नीलकुरिंजी को वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची III के तहत सूचीबद्ध किया है।

महत्वपूर्ण तथ्यः नीलकुरिंजी लुप्तप्राय नहीं है लेकिन संरक्षित प्रजातियों के तहत एक पौधे के रूप में शामिल है।

  • यह उन 19 संयंत्रों की सूची में शामिल हो गया है जो अनुसूची III के तहत सूचीबद्ध हैं।
  • पौधे को उखाड़ने या नष्ट करने वाले व्यक्तियों को 25,000 रुपये का जुर्माना और 3 साल की कैद हो सकती है।
  • इसके अलावा नीलकुरिंजी की खेती और उसके कब्जे की अनुमति नहीं है।
  • मुन्नार में नीलकुरिंजी का खिलना एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है।
  • उनके सूखे फूल से मिट्टी में गिरने वाले बीजों के परिणामस्वरूप उनके पौधे बनते हैं। अगर फूल तोड़े जाएं तो ऐसा नहीं होगा। इसलिए फूल तोड़ने की इजाजत नहीं दी गई है।
  • भारत में नीलकुरिंजी की 40 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

नीलकुरिंजीः यह दक्षिण भारत के पश्चिम घाटके 1800 मीटर से ऊंचे शोला घास के मैदानों में बहुतायत से उगने वाला एक पौधा होता है। इसके फूल 12 वर्ष में एक बार खिलते हैं। नीलगिरी पर्वत का नाम इन्हीं नीले कुरंजी फूलों के आच्छादित होने के कारण पड़ा है।

  • दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतें भारत स्थानांतरित होंगे
  • भारत और दक्षिण अफ्रीका ने एक समझौता किया है, इस समझौते के तहत दक्षिण अफ्रीका से फरवरी 2023 में 12 चीतों को भारत लाया जाना है। इन चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्कमें रखा जायेगा ।

उद्देश्यः देश में चीतों के इकोसिस्टम को फिर से डेवलप करना।

महत्वपूर्ण तथ्यः भारत और अफ्रीका के बीच अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण परियोजना के तहत अफ्रीकी चीतों को भारतलाया जा रहा है।

  • इस प्रोजेक्ट के तहत मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्कमें 12 चीतों को लाया जायेगा।
  • इससे पहले कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से आठ चीतों को स्थानांतरित किया गया था।
  • विश्व भर में लगभग चीतों की संख्या 7,000 है। इनकी अधिकांश संख्या अफ्रीकी महाद्वीप में पाई जाती है।

भारत में चीतों की स्थितिः भारत में चीतों को आिखरी बार 1948 में देखा गया था। वर्ष 1952 में भारत में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया था। हाल ही में अफ्रीका के नामीबिया से आठ चीतों को भारत लाया गया था। जो भारत में इनकी संख्या को बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया एक कदम है।