जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र

बायोस्फीयर रिजर्व स्थलीय और तटीय/समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के क्षेत्र हैं। वे बहुउद्देशीय संरक्षित क्षेत्र हैं, जहां वनस्पति और जीव दोनों संरक्षित हैं।

  • बायोस्फीयर रिजर्व की शुरुआत 1971 में संयुत्तफ़ राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के ‘मैन एंड बायोस्फीयर प्रोग्राम’ के हिस्से के रूप में की गई थी।
  • जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र उस क्षेत्र में स्थित समस्त जैव विविधता का संरक्षण करता है। इसे तीन भागों में बांटा जाता है-
    1. केन्द्रीय क्षेत्र
    2. बफर क्षेत्र
    3. संक्रमण क्षेत्र।
  • केन्द्रीय क्षेत्र स्थानिक प्रजातियों की विविधता से समृद्ध क्षेत्र होता है। यहां मानवीय गतिविधियां पूर्णतः प्रतिबंधित होती है। बफर क्षेत्र केन्द्रीय क्षेत्र के चारों ओर स्थित एक परिक्षेत्र होता है, जहां अनुसंधान, पर्यटन, पशुचारण आदि किया जा सकता है। वही संक्रमण क्षेत्र सबसे बाहरी क्षेत्र होता है जहां स्थानीय लोगों के सहयोग एवं सामंजस्य पर आधारित गतिविधियां सम्पन्न की जाती है।

  • पन्ना जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र को 2020 में यूनेस्को ने मैन एंड बायोस्फीयर प्रोग्राम (एमएबी) में शामिल किया। भारत में अब तक 18 जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र हैं, जिनमें 12 को यूनेस्को ने अपने जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र के विश्व संजाल (MAB प्रोग्राम) में शामिल किया है, जिनकी सूची निम्नलिखित हैं-