आर्द्रभूमि संरक्षण (रामसर सम्मेलन)

आर्द्रभूमि जलीय तथा शुष्क स्थलीय पारिस्थितिकीय तंत्र के बीच का क्षेत्र होता है। आर्द्रभूमियां पोषक तत्वों का पुनर्निर्माण व जहरीले तत्वों को निष्क्रिय करके पारिस्थितिकी व्यवस्था बनाए रखने में सहायता करती है, इसीलिए इन्हें ‘प्रकृति की किडनी’ कहते हैं।

  • आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिए 1971 में ईरान के रामसर में एक सम्मेलन हुआ, जिसके प्रावधान 1975 में लागू हुए। यही से प्रत्येक वर्ष 2 फरवरी को ‘विश्व आर्द्रभूमि दिवस’ मनाने की शुरुआत हुई।
  • 1981 में चिल्का झील (उड़ीसा) और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान) को भारत के पहले रामसर स्थलों के रूप में मान्यता दी गई थी।
  • भारत का सबसे बड़ा रामसर स्थल सुंदरबन आर्द्रभूमि है।
  • भारत का सबसे छोटा रामसर आर्द्रभूमि हिमाचल प्रदेश में रेणुका वेटलैंड क्षेत्र है।
  • भारत में रामसर स्थलों की सबसे बड़ी संख्या उत्तर प्रदेश (10) में है।
  • 2022 तक भारत में कुल 49 रामसर स्थल घोषित किये जा चुके हैं, जो निम्नलििखत हैं-