तीन औषधीय पौधे IUCN की लाल सूची में शामिल
हाल ही में हिमालय में पाई जाने वाली तीन औषधीय पौधों की प्रजातियों संकटग्रस्त प्रजातियों की IUCN की लाल सूची में शामिल कर लिया गया है।
महत्वपूर्ण तथ्य-
IUCN की लाल सूची में शामिल तीन प्रजातियां |
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क्रम |
प्रजातियां |
विशेषताएं |
1 |
मेईजोट्रोपिस पेलिटा |
इसकी पत्तियों से निकाले गए तेल में मजबूत एंटीऑक्सिडेंट होते हैं और यह दवा उद्योगों में सिंथेटिक एंटीऑक्सिडेंट का प्राकृतिक विकल्प हो सकता है। यह आमतौर पर पटवा के रूप में जाना जाता है, यह एक बारहमासी झाड़ी है, जो उत्तराखंड के लिए स्थानिक है। |
2 |
फ्रिटिलारिया सिरोसा |
यह एक बारहमासी बल्बनुमा जड़ी-बूटी है। चीन में इस प्रजाति का उपयोग ब्रोन्कियल विकारों और निमोनिया के इलाज हेतु प्रयोग में लाया जाता है। |
3 |
डैक्टाइलोरिजा हटागिरिया |
इस प्रजाति को सलामपंजा भी कहा जाता है। इसे पेचिश, जठरशोथ, जीर्ण ज्वर, खांसी और पेट दर्द को ठीक करने के लिए आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और चिकित्सा की अन्य वैकल्पिक प्रणालियों में इसका बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। यह हिंदूकुश और अफगानिस्तान, भूटान, चीन, भारत, नेपाल और पाकिस्तान के हिमालयी क्षेत्रों के लिये एक बारहमासी कंद प्रजाति है। |
GK फ़ैक्ट
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