चित्रकला एवं शिल्प
उत्तर प्रदेश में चित्रकला के प्रारम्भिक साक्ष्य हमें उच्च पुरापाषाणकाल एवं मध्य पाषाणकालीन शैलाश्रयों जैसे चंदौली, सोनभद्र, मिर्जापुर, प्रयागराज, बांदा स्थानों से चित्रों के रूप में मिलते हैं। मिर्जापुर और बांदा क्षेत्र शैल चित्रों के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं।
- विन्ध्य पहाड़ियों में स्थित शैलाश्रय एवं गुफाओं को स्थानीय भाषा में ‘दरी’ कहा जाता है,लिखुनियां, विजयगढ़, सोरहोघाट, भण्डारिया, बागापथरी, कांडाकोट, घोड़मंगर, सौहरीरौप, मोहरापथरी, खोड़हवा आदि स्थान पर से लालगेरू से बने 5000 ई.पू. के अनेक भित्तिचित्र प्राप्त हुए हैं।
- बांदा के मानिकपुर में गेरू से बने अनेक शैलचित्र मिले हैं।
मुगल चित्रकला
- हुमायूं ने भारत में चित्रकला की नींव रखी, उसने फारस ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता
- 2 विश्व व्यापार संगठन वार्ता: कृषि, ट्रिप्स, सब्सिडी, मत्स्य पालन
- 3 एफडीआई प्रवाह: क्षेत्रीय वितरण और सुधार
- 4 व्यापार रुझान 2024-25: घाटा, संरचना, निर्यात बाजार
- 5 गिग श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा
- 6 देखभाल अर्थव्यवस्था (Care Economy) बनाम मौद्रिक अर्थव्यवस्था
- 7 कौशल भारत एवं उद्यमिता
- 8 चार श्रम संहिताएँ: लाभ, आलोचनाएँ और प्रगति
- 9 संरचनात्मक बेरोजगारी
- 10 श्रम बाज़ार की गतिशीलता