डीएनए साक्ष्य की सुरक्षा हेतु सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश

15 जुलाई, 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने मृत्युदंड की सज़ा पाए एक व्यक्ति को दोषपूर्ण जांच के आधार पर बरी कर करते हुए, डीएनए साक्ष्य से संबंधित मामलों में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के संबंध में महत्वपूर्ण दिशानिर्देश जारी किये।

  • न्यायालय ने तमिलनाडु के थेनी में वर्ष 2011 में दो व्यक्तियों की हत्या और एक पीड़िता के साथ बलात्कार के मामले में दोषी व्यक्ति की सज़ा को यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि अभियोजन पक्ष का पूरा मामला डीएनए साक्ष्य पर आधारित था, जो प्रक्रियागत त्रुटियों के कारण अविश्वसनीय पाया गया।
  • सुप्रीम कोर्ट के ये दिशानिर्देश आपराधिक मामलों में डीएनए जैसे ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री

राष्ट्रीय परिदृश्य