कैदियों को व्यक्तिगत भोजन की मांग का मौलिक अधिकार नहीं

15 जुलाई, 2025 को सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक निर्णय में कहा कि जेलों में दिव्यांगों सहित सभी कैदियों को "पसंदीदा या महंगे खाद्य पदार्थ" उपलब्ध न कराना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं है।

  • वाद: एल. मुरुगनंथम बनाम तमिलनाडु राज्य एवं अन्य।
  • पीठ: न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति आर. महादेवन।

निर्णय के मुख्य बिंदु

  • संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन का अधिकार सभी कैदियों पर समान रूप से लागू होता है, हालाँकि यह उपबंध व्यक्तिगत या विलासितापूर्ण भोजन की माँग करने का अधिकार नहीं देता है।
  • केवल पसंदीदा या महंगे खाद्य पदार्थों की आपूर्ति न किया जाना अपने-आप में मौलिक अधिकारों ....
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