बागवानी

भारत में पिछले 5 वर्षों में बागवानी के कृषि क्षेत्र में खाद्यान्नों के कृषि क्षेत्र की तुलना में काफी तेज वृद्धि हुई है। वर्ष 2012 से 2014-15 के दौरान बागवानी के उत्पादन में 10% की वृद्धि हुई है जबकि इसी दौरान खाद्यान्नों के उत्पादन में 6% की वृद्धि हुई है।

वर्ष 2012-13 से बागवानी का उत्पादन खाद्यान्नों के उत्पादन से ज्यादा बढ़ गया है। पिछले एक दशक में बागवानी के कृषि क्षेत्र में लगभग 3-1% प्रति वर्ष एवं इसके वार्षिक उत्पादन में लगभग 6% की वृद्धि हुई है। वर्ष 2015-16 के दौरान बागवानी फसलों का उत्पादन लगभग 286.2 मिलियन टन था एवं बागवानी का कृषि क्षेत्र 24.47 मिलियन हेक्टेयर था। फलों का उत्पादन वर्ष 1991-92 में 28,632 हजार टन से बढ़कर 2015-16 में 90,183 हजार टन हो गया एवं इसी अवधि के दौरान सब्जियों का उत्पादन 58,532 हजार टन से बढ़कर 16,90,624 हजार टन हो गया है।

बागवानी फसलों के उत्पादन में सब्जियों का हिस्सा 50% से ज्यादा है। ताजे फलों एवं सब्जियों की निर्यात संवृद्धि/ग्रोथ दर लगभग 14% एवं प्रसंस्कृत (प्रोसेड) फल एवं सब्जियों की संवृद्धि 16% है।

बागवानी फसलों में सब्जियां एवं फल कृषि संवृद्धि का ज्ञमल ड्राइवर हो सकता है। फसल की कटाई, न्यूनतम लागत वाली भण्डारण सुविधा एवं प्रसंस्करण तकनीक में उचित निवेश करके एवं विपणन अवसंरचना का विकास करके बागवानी क्षेत्र का आगे निरंतर विकास किया जा सकेगा।

भारत में बागवानी क्षेत्र की निम्न प्रमुख चुनौतियां हैं-

  • फसल की कटाई के उपरांत नुकसान।
  • गुणवत्तापूर्ण पौधे सामग्री की अनुपलब्धता।
  • छोटे बागवानी किसानों की बाजार तक अपर्याप्त पहुंच।
  • बागानी फसलों का संयुक्त रूप से (कटाई एवं कटाई के बाद/हार्वेस्ट एण्ड पोस्ट हार्वेस्ट) वेस्ट 5.15% फलों एवं सब्जियों के संदर्भ में, जबकि मोटे अनाजों एवं दलहन एवं तिलहन के सन्दर्भ में यह प्रतिशत क्रमशः 5.6%, 6 से 8% एवं 5 से 10% है।