भारत में आठ में से एक मौत वायु प्रदूषण से

दिसंबर, 2018 को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा नई दिल्ली में जारी ‘लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ’ (Lancet Planetary Health) में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, 2017 में भारत में हर आठ में से एक व्यक्ति की मौत वायु प्रदूषण से हुईं

अध्ययन की मुख्य विशेषताएं

  • यह ‘इंडिया स्टेट लेवल डिजीज बर्डन इनिशिएटिव’ (India State-Level Disease Burden Initiative)पहल द्वारा प्रकाशित प्रत्येक राज्य में वायु प्रदूषण से जुड़ी जीवन प्रत्याशा में कमी का पहला व्यापक आकलन है।
  • 2017 में भारत में 12.4 लाख मौतें वायु प्रदूषण के कारण हुई, जिसमें से 6.7 लाख मौतें बाहरी वायु प्रदूषण और 4.8 लाख मौतें घरेलू वायु प्रदूषण के कारण हुईं। वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों में आधे से ज्यादा लोग 70 से कम उम्र के थे।
  • वायु प्रदूषण के चलते दुनियाभर में समय पूर्व मृत्यु दर 18 प्रतिशत है, जबकि भारत में यह आंकड़ा 26 प्रतिशत है।
  • वर्ष 2017 में भारत की 77% आबादी राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों द्वारा निर्धारित सीमा से ऊपर पार्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter - PM2.5) के संपर्क में थी। PM2.5 का उच्चतम स्तर दिल्ली में था, इसके बाद अन्य उत्तर भारतीय राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा में था।
  • भारत में वायु प्रदूषण का स्तर स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक स्तर से कम रहे तो राजस्थान (2.5 वर्ष), उत्तर प्रदेश (2.2 वर्ष) और हरियाणा (2.1 वर्ष) में सबसे ज्यादा जीवन प्रत्याशा बढ़ोत्तरी के साथ भारत में औसत जीवन प्रत्याशा 1.7 वर्ष अधिक होगी।
  • वर्ष 2014 में वायु गुणवत्ता की जांच के लिए सरकार द्वारा राष्ट्रीय गुणवत्ता सूचकांक शुरू किया गया जिसे निम्न 6 वर्गों में बांटा गया है।

वर्ग

AQI सीमा

कलर कोड

अच्छा (Good)

0-50

हरा

संतोषजनक (Satisfactory)

51-100

धानी

सामान्य प्रदूषित (Moderately Polluted)

101-200

गुलाबी

खराब (Poor)

201-300

पीला

अतिखराब (Very Poor)

301-400

नारंगी

गंभीर (Severe)

401-500

लाल