बढ़ते एनपीए की पृष्ठभूमि में बैंक बोर्ड ब्यूरो में सुधार

बैंक बोर्ड ब्यूरो का गठन मिशन इन्द्रधनुष के घटकों में से एक के रूप में किया गया था। यह पी.जे. नायक समिति की सिफारिशों पर आधारित है। भारत में ऋण संस्कृति में सुधार करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा एक स्वायत्त निकाय के रूप में बैंक बोर्ड ब्यूरो को स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) के बढ़ते मामलों (आर्थिक सर्वेक्षण में इसका उल्लेख ‘जुड़वां बैलेंस शीट समस्या’ के रूप में किया गया है) को सुलझाना है।

मिशन इन्द्रधनुष के घटक

  • पीएसबी और बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर से दबाव कम करना।
  • बेसल-III मानदंडों को पूरा करने के लिए पूंजीकरण।
  • संस्थागत सशक्तिकरण।
  • जवाबदेही ढांचा।
  • पीएसबी में प्रशासनिक सुधार।
  • बैंक बोर्ड ब्यूरो
  • नियुक्ति, बैंकों के सीईओ और एमडी के पदों का पृथक्करण।

बैंक बोर्ड ब्यूरो के कार्य

  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रशासन में सुधार करना।
  • सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों और वित्तीय संस्थानों के प्रमुखों के चयन के संबंध में सिफारिश करना।
  • एनपीए और विलफुल डिफाल्टर्स की पहचान करना।
  • दबाव वाले खातों का निपटारा और मूल्य वसूल करने में मदद करना।
  • पूंजी बढ़ाने के लिए नवीन रणनीतियों का विकास करना।
  • दबावग्रस्त बैंकों के विलय और समेकन पर बैंकों का मार्गदर्शन करना।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विदेशी परिचालनों को तर्कसंगत और सुदृढ़ बनाने में मार्गदर्शन से सहायता करना।
  • पीएसबी को उनकी गौण संपत्ति को कार्यशील बनाने में सहायता करना, ताकि उनका पूंजी आधार मजबूत हो सके।
  • एनपीए के संबंध में धोखाधड़ी का पता लगाना और कार्रवाई शुरू करना।

आगे की राह

  • बैंक बोर्ड ब्यूरो के अधिकारों और स्वतंत्र कार्यप्रणाली को सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
  • वित्तीय संस्थानों के प्रमुखों की चयन प्रक्रिया में सरकार काअहस्तक्षेप।
  • एनपीए के बढ़ते मामलों को हल करने के लिए संवैधानिक समर्थन के साथ-साथ संस्थागत स्वायत्तता उपलब्ध कराना।
  • घाटे वाले पीएसबी का विलय और अधिग्रहण सुनिश्चित करना।
  • पीएसबी की नीति और संरचनात्मक मुद्दों को हल करने की आवश्यकता है।