इसका गठन 1958 में भारतीय सेना के तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (TDE) और रक्षा विज्ञान संगठन (DSO) के साथ तकनीकी विकास और उत्पादन निदेशालय (DTDP) के विलय के साथ हुआ था।
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कार्य अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्द्धी प्रणालियों और उपकरणों से रक्षा सेवाओं से सुसज्जित करके निर्णायक बढ़त प्रदान करना। सेना और अर्द्ध-सैन्य बलों के लिए पारंपरिक आयुध (सीए) का निर्माण तथा विकास करना।
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