मिशन चंद्रयान-2

भारत के चंद्रयान-2 मिशन का ‘विक्रम’ लैंडर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में विफल रहा। हालांकि चंद्रयान-2 मिशन आंशिक रूप से ही असफल रहा; क्योंकि इसका ऑर्बिटर चंद्रमा के चारों ओर 100 किमी. की गोलाकार कक्षा में चक्कर लगा रहा है।

  • 7 सितंबर, 2019 को विक्रम लैंडर के अवतरण के अंतिम क्षणों के दौरान बेंगलुरु स्थित इसरो के ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन ने चंद्रमा की सतह से लगभग 2.1 किमी. की दूरी पर लैंडर के साथ संपर्क खो दिया।चंद्रयान-2 ने श्रीहरिकोटा से 22 जुलाई, 2019 को उड़ान भरी थी तथा यह विक्रम लैंडर को चंद्र सतह में लगभग 70° दक्षिणी अक्षांश पर लैंड करने वाला था।
  • चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का वेग अपने अवतरण (descent) के अंतिम चरण में अपेक्षित दर से कम नहीं हुआ तथा अधिक संभावना इस बात की है कि इसने चंद्र सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए आवश्यक गति से अधिक गति से लैंडिंग की।

पूर्व के सफल प्रयासः सबसे पहले पूर्व सोवियत संघ ने अपने लैंडर आधारित चंद्र मिशनों की शुरुआत वर्ष 1963 में की थी तथा वर्ष 1966 में मिली सफलता तक वह 12 असफल लैंडर मिशन प्रक्षेपित कर चुका था। पूर्व सोवियत संघ फरवरी 1966 में चंद्रमा की सतह पर लूना 9 के जरिए पहली सॉफ्ट लैंडिंग करने में कामयाब रहा।