कार्टोसैट-3 का सफ़ल प्रेक्षपण

भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन ने नवम्बर, 2019 को इमेजिंग व मैपिंग उपग्रह कार्टोसैट-3 सैटेलाइट, पीएसएलवी-सी47 (PSLV-C47) रॉकेट द्वारा प्रक्षेपित किया। कार्टोसैट-3 कार्टोसैट सीरीज का 9वां सैटेलाइट है, जो पृथ्वी से 509 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित होकर चक्कर लगाएगा। पीएसएलवी सी-47 के साथ 13 अमेरिकी वाणिज्यिक उपग्रहों को भी सफलतापूर्वक उनकी नामित कक्षाओं में स्थापित कर दिया गया है। यह 13 वाणिज्यिक उपग्रह लक्सेमबर्ग बेस्ड स्पेस कंपनी क्लेओस के हैं; जो कंपनी के स्काउटिंग मिशन के उपग्रहों के समूह का हिस्सा है। स्काउटिंग मिशन के डाटा का उपयोग समुद्री गतिविधि, निगरानी तथा इंटेलिजेंस से सम्बंधित कार्य के लिए किया जायेगा। इससे पहले भारत अपने चेस्ट रॉकेट के साथ 297 विदेशी सैटेलाइट को लॉन्च कर चुका है। अब इसरो अन्य देशों के मुकाबले बहुत ही कम खर्च में 310 विदेशी उपग्रहों को प्रक्षेपित करने वाला संगठन बन गया है।

कार्टोसैट-3 की मुख्य विशेषता

  • यह तीसरी पीढ़ी का लांच व्हीकल है, जिसमें हाई रिजोल्यूशन के कैमरे लगे हैं। इसकी मदद से भारत के सुरक्षाबलों की स्पेस-सर्विलांस क्षमता बढ़ेगी। पैनक्रोमैटिक मोड में यह 16 किमी. दूरी की स्पेशल रेंज कवर कर सकता है। कार्टोसैट-3 से पहले लॉन्च किए गए किसी भी सर्विलांस सैटेलाइट में ऐसी क्षमता नहीं रही है। यह मल्टी-स्पेक्ट्रम (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम की खास रेंज में आने वाली लाइट) और हाइपर स्पेक्ट्रम (पूरे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम में आने वाली लाइट) को कैप्चर कर सकता है। कार्टोसैट-3 की मदद से शहरों की प्लानिंग, ग्रामीण संसाधन और बुनियादी ढांचे के विकास, तटीय जमीन के इस्तेमाल और प्राकृतिक आपदाओं और ढांचागत विकास में भी मदद प्राप्त होगी।