मोटर वाहन अधिनियम, 1988

मोटर वाहन अधिनियम 1988, 1 जुलाई 1989 से लागू हुआ, जो सड़क परिवहन वाहनों के लगभग सभी पहलुओं को नियंत्रित करता है। इसमें यातायात नियमों, वाहन बीमा, मोटर वाहनों के पंजीकरण, परमिट और दंड संबंधी प्रावधान हैं। मोटर वाहन अधिनियम संशोधन, 2019 में संसद द्वारा पारित किया गया।

मोटरवाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 के कुछ महत्वपूर्ण प्रवधान निम्नलिखित हैं-

  • यह ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन पंजीकरण प्राप्त करने के लिए आधार को अनिवार्य बनाता है।
  • हिट-एंड-रन संबंधी मौतों के मामले में सरकार पीड़ित परिवार को 2 लाख रुपये या उससे अधिक का मुआवजा प्रदान करेगी।
  • किशोरों द्वारा यातायात उल्लंघन मामले में अभिभावक या वाहनमालिक को जिम्मेदार ठहराया जाएगा, जब तक कि वे साबित नहीं करते कि अपराध उनके ज्ञान के बिना था या उन्होंने इसे रोकने की कोशिश की थी।
  • नशे में ड्राइविंग के लिए न्यूनतम जुर्माना 2,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दिया गया है।
  • यह अधिनियम केंद्र सरकार को मोटर वाहनों को वापस करने के लिए आदेश देने की अनुमति देता है, जब वाहन पर्यावरण या अन्य को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • अधिनियम में अधिसूचना के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड बनाए जाने का प्रावधान किया गया हैं।
  • अधिनियम में गोल्डेन आवर (GOLDEN HOUR) के दौरान सड़क दुर्घटना पीड़ितों के कैशलेस उपचार का प्रावधान किया गया।