राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम)

राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) एक अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है, जो कृषि उत्पादों के लिए एकीकृत राष्ट्रीय बाजार की परिकल्पना करता है एवं इसके लिए मौजूदा भौतिक एपीएमसी मंडियों को नेटवर्क के माध्यम से जोड़ना चाहता है। इसे कृषि मंत्रालय के स्मॉल फार्मर्स एग्रीबिजनेस कंसोर्टियम (एसएफएसी) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

कृषि विपणन, राज्यों के कृषि-विपणन नियमों के द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। इन नियमों के तहत, राज्य को कई बाजार क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है, जिनमें से प्रत्येक को एक अलग कृषि उत्पादन विपणन समिति (एपीएमसी) द्वारा प्रशासित किया जाता है; जो अपना स्वयं का विपणन विनियमन (शुल्क सहित) लागू करता है। बाजारों के इस विखंडन से राज्य के भीतर भी कृषि वस्तुओं के मुक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ जाती हैं।

उद्देश्यः एकीकृत बाजारों में प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करके कृषि विपणन में एकरूपता को बढ़ावा देना।

  • खरीददारों और विक्रेताओं के बीच सूचना विषमता को दूर करना।
  • समय पर ऑनलाइन भुगतान को सुनिश्चित करना।
  • पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से मांग और आपूर्ति के आधार पर वास्तविक समय पर मूल्य की खोज सुनिश्चित करना।
  • एक ऑनलाइन बाजार मंच के माध्यम से देश भर में एपीएमसी का एकीकरण कर कृषि वस्तुओं में अखिल भारतीय व्यापार की सुविधा उपलब्ध कराना।
  • ‘एक राष्ट्र एक बाजार’ की अवधारणा को विकसित करना तथा किसानों के लिए बाजार तक पहुंच का विस्तार करना।
  • किसानों को प्रतिस्पर्द्धी और पारिश्रमिक मूल्य प्रदान करना और 2022 तक किसान की आय को दो-गुना करने के सपने को साकार करना।

मुख्य विशेषताएं

  • यह बाजार को विनियमित कर मूल्य, बिक्री और लेनदेन में पारदर्शी को बढ़ाता है। ई-नाम में शामिल होने के लिए इच्छुक राज्यों को अपने एपीएमसी अधिनियम में संशोधन कर उपयुक्त प्रावधान लागू करना होगा।
  • व्यापारी को जारी किया गया लाइसेंस राज्य के सभी बाजारों में मान्य होगा।
  • प्रत्येक बाजार में कृषि उपज के गुणवत्ता मानकों और परख (गुणवत्ता परीक्षण) बुनियादी ढांचे का सामंजस्य करता है; ताकि खरीददारों को गुणवत्तापूर्ण उत्पाद प्राप्त हो सके।
  • बाजार शुल्क का एकल बिंदु लेवी यानी किसान के पहली थोक खरीद पर लेवी वसूल करना।
  • चयनित मण्डी में या मण्डी के पास मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं के प्रावधान को प्रोत्साहित करना।

प्रगति

राज्य कृषि मंडियों को राष्ट्रीय कृषि बाजार (NAM) से जोड़ा गया है। राज्य में प्रत्येक मंडियों के व्यापार विश्लेषण की निगरानी के लिए एमआईएस डैशबोर्ड की स्थापना कर ई-नाम मंच को मजबूत किया गया है।

  • पोर्टल आरटीजीएस / एनईएफटी, डेबिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से किसानों को सीधे ऑनलाइन भुगतान की सुविधा देता है। भीम ऐप के माध्यम से यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) की सुविधा का प्रयोग कर भुगतान वास्तविक समय में किया जाता है। इसने भुगतान प्रक्रिया को आसान बना दिया है।
  • ई-नाम मोबाइल ऐप किसानों को अग्रिम प्रवेश की सुविधा देता है, जिससे प्रतीक्षा समय कम हो जाता है। ऐप किसान को उनकी कृषि उपज की वास्तविक बोली प्रगति का निरीक्षण करने की भी अनुमति देता है।
  • शिकायत निवारण प्रबंधन प्रणाली मंडी सचिवों द्वारा शुरू की गयी है, जो ऑनलाइन उठाये गए शिकायतों का निवारण करते हैं।

सुझाव

‘एक राष्ट्र एक बाजार’ के सपने को साकार करने के लिए दो अलग-अलग राज्यों की मंडियों के बीच अंतर-राज्यीय व्यापार शुरू करना।

  • राज्यों के बीच अंतर-राज्य व्यापार को बढ़ावा देने के लिए ई-नाम प्लेटफॉर्म पर एक अंतर-राज्य डैशबोर्ड विकसित करना।
  • राज्य के बाहर के व्यापारियों को ई-नाम पोर्टल के माध्यम से ‘लॉजिस्टिक प्रोवाइडर्स’ के बारे में जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता है जिससे कि ट्रेडिंग के बाद वस्तुओं के परिवहन की सुविधाजनक बनाया जा सके।
  • ई-नाम को सफल बनाने के लिए निर्वाह खेती को हटाना आवश्यक है, जिसे किसानों के बीच भूमि समेकन, अनुबंध खेती आदि के बारे में जागरुकता बढ़ाकर प्राप्त किया जा सकता है।

चुनौतियां

  • उदार लाइसेंसिंग प्रक्रिया का लाभ उठाकर व्यापारी / खरीददार और कमीशन एजेंट अनुचित व्यापार प्रणाली (unfair trade practices) में संलग्न है। इसके अंतर्गत लाइसेंस प्राप्त करने की लिए बाजार परिसर में भौतिक उपस्थिति या दुकान का होना आवश्यक नहीं।
  • राष्ट्रीय स्तर पर कृषि बाजार में एकरूपता लाना; क्योंकि ‘कृषि’ राज्य का विषय है।
  • देश भर में कृषि विपणन सुविधाओं को मजबूत, उन्नत और विस्तारित करना; क्योंकि वर्तमान में 16 राज्यों के 585 मंडी ही इस प्लेटफॉर्म से जुड़ पाए हैं।
  • कृषि सुधारों को विरोध का सामना करना पड़ता है। इससे यथास्थिति में परिवर्तन होता है, जिसे भारतीय राजनीति का एक वर्ग अपने हित के लिए खतरा मानता है।
  • गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं को विकसित करने के लिए राज्यों के पास पर्याप्त राजकोष उपलब्ध न होना।