प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा)

किसानों को उनकी उपज के लिए पारिश्रमिक मूल्य दिलाने के लिए पीएम-आशा प्रारंभ किया गया था। पीएम-आशा के मुख्य घटक हैं-

  1. मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस),
  2. मूल्य में कमी भुगतान योजना (पीडीपीएस),
  3. निजी खरीद और स्टॉकिस्ट पायलट योजना (पीपीपीएस)

मुख्य विशेषताएं

मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत राज्य सरकारों के साथ-साथ केंद्रीय नोडल एजेंसियों द्वारा दालों, तिलहन और नारियल की भौतिक खरीद की जाती है।

  • मूल्य कमी भुगतान योजना (पीडीपीएस) के तहत किसानों को एमएसपी और सभी अधिसूचित तिलहन की बिक्री मूल्य के बीच अंतर का प्रत्यक्ष भुगतान मिलेगा।
  • निजी खरीद और स्टॉकिस्ट पायलट योजना (पीपीपीएस)के तहत फसलों की खरीद में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

प्रगति

भारतीय खाद्य निगम (FCI) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) ने राज्य में मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) का संचालन किया है।

  • एमएसपी और बिक्री/औसत मूल्य के बीच के अंतर का सीधा भुगतान पहले से ही पंजीकृत उन किसानों को किया जाएगा, जो एक पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया के जरिये अधिसूचित बाजार में अपनी उपज की बिक्री करेंगे।
  • फॉर्म टू गेट (Farm to Gate) और खुदरा बाजारों के बीच की दूरी को कम कर ग्रामीण कृषि बाजारों को बढ़ावा दिया है।
  • निजी खरीद और स्टॉकिस्ट पायलट योजना (पीपीपीएस) के तहत, सीमित मामलों में निजी क्षेत्र के खरीद की समय पर प्रतिपूर्ति की गयी है। उदाहरण- पश्चिम बंगाल में महिला स्वयं संगठन द्वारा कृषि उत्पादों की खरीद को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा समय पर प्रतिपूर्ति की जा रही है।

सुझाव

किसानों को पारिश्रमिक मूल्य प्राप्त करने के लिए एक मजबूत और किसान-समर्थक निर्यात नीति होनी चाहिए।

  • निजी खरीद विकल्प में सबसे अधिक संभावनाएं हैं; अतः निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए अनुकूल नियम निर्धारित किए जाने की आवश्यकता है।
  • अनाज केंद्रित कृषि नीति को बदल कर अन्य फसलों जैसे तिलहन, दलहन आदि को भी कृषि नीति के केंद्र में लाना।
  • किसान के लाभ को बढ़ाने के लिए, स्थानीय कृषि आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार फसल प्रतिरूप में बदलाव करना, जो सामाजिक लागतों को शामिल करता हो।

चुनौतियां

  • झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में गैर-धान फसलों के लिए मजबूत खरीद बुनियादी ढांचे की कमी।
  • मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) फसलों की खरीद को राज्य उत्पादन के 25% तक सीमित करती है। यह इस योजना के दायरे को सीमित कर लघु एवं सीमांत किसानों तक को खरीद से बाहर कर सकता है।
  • पीएसएस के तहत सभी दलहनों और तिलहनी फसलों की अधिसूचना से NAFED को कार्यशील पूंजी की कमी होगी, क्योंकि इन जिंसों का विपणन मूल्य घोषित एमएसपी से कम है, जिससे किसान अपनी उपज केवल सरकारी एजेंसियों को ही बेचेंगे।
  • योजना के लिए आवंटित बजट बहुत कम है और किसी भी महत्वपूर्ण प्रभाव को बढ़ाने के लिए इसे बढ़ाने की आवश्यकता है।