द्विपक्षीय निवेश संधि- परिवर्तनशील नीतिगत परिदृश्य
भारत के तीव्र आर्थिक विकास के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश संबंधी नियमों को निवेशक तथा भारत के हितों के अनुकूल बनाना चुनौतीपूर्ण है। |
वैश्विक स्तर पर सभी देश, अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment - FDI) प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं और द्विपक्षीय निवेश संधियों (Bilateral Investment Treaties - BIT) पर जोर दिया जा रहा है। इस प्रकार की द्विपक्षीय निवेश संधियों का मुख्य उद्देश्य विदेशी निवेशकों द्वारा किए गए निवेश की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। विदेशी निवेशक सामान्यतः निवेश प्राप्तकर्ता देश में अपने निवेश मूल्य ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 भारत की साइबर प्रतिरोधक क्षमता का सुदृढ़ीकरण एक राष्ट्रीय सुरक्षा अनिवार्यता - संपादकीय डेस्क
- 2 पुनरुत्थान के मार्ग पर बिम्सटेक भारत के लिए रणनीतिक एवं आर्थिक अवसर - आलोक सिंह
- 3 डिजिटलीकरण: सामाजिक परिवर्तन का उत्प्रेरक - संपादकीय डेस्क
- 4 अमेरिका की नई टैरिफ नीति वैश्विक व्यापार युद्ध की दस्तक - डॉ. उदय भान सिंह
- 5 पीटलैंड्स का संरक्षण वैश्विक तापमान वृद्धि से निपटने का सतत समाधान - संपादकीय डेस्क
- 6 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम संभावनाएं, चुनौतियां एवं समाधान - डॉ. अमरजीत भार्गव
- 7 हिंद महासागर क्षेत्र परिवर्तनशील भू-राजनीतिक परिदृश्य में भारत की आर्थिक एवं रणनीतिक अनिवार्यताएं - आलोक सिंह
- 8 भारत में उच्च शिक्षा सुधार रोज़गार क्षमता और अनुसंधान मानकों में वृद्धि आवश्यक - डॉ. अमरजीत भार्गव
- 9 भारत में कौशल अंतराल
- 10 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम विनियामक निगरानी : भारत में डिजिटल मीडिया का विनियमन - आलोक सिंह