ग्रीनलैंड द्वीपों को खतरा
- 14 जनवरी, 2019 को ‘प्रोसीडिंग ऑफ द नेसनल अकेडमी ऑफ साइंसेस’ (Proceedings of the National Academy of Sciences) में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार ग्रीनलैंड में मौजूद बर्फ की चादर वायुमंडल के तेजी से गर्म होने के चलते वर्ष 2003 से 2013 के मध्य चार गुना तेजी से पिघली है।
- समुद्र के बढ़ते जल स्तर को लेकर चिंतित वैज्ञानिकों ने लंबे समय से ग्रीनलैंड के दक्षिण-पूर्व और उत्तर-पश्चिम क्षेत्रें पर लंबे समय से ध्यान केंद्रित किया है। दरअसल, वहां हिमानी या ग्लेशियर पिघल कर अटलांटिक सागर में मिल रहे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है की इसके पीछे की वजह वैश्विक ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 पीएम सूर्य घर योजना की ऐतिहासिक उपलब्धि
- 2 आर्द्रभूमि के विवेकपूर्ण उपयोग हेतु रामसर पुरस्कार 2025
- 3 कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान
- 4 जॉर्ज VI आइस शेल्फ के नीचे एक समृद्ध पारिस्थितिक तंत्र की खोज
- 5 समुद्री घास संरक्षण: पृथ्वी की जैव विविधता का आधार
- 6 मध्य प्रदेश में घड़ियालों का संरक्षण
- 7 भारत का 58वां टाइगर रिजर्व
- 8 आईसलैंड का पहला 'मृत घोषित' ग्लेशियर: ओक्जोकुल
- 9 अंटार्कटिका के नीचे के भूदृश्य का नया मानचित्र: बेडमैप3
- 10 कश्मीर हिमालय में पर्माफ्रॉस्ट पिघल रहा है
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी
- 1 प्लास्टिक अपशिष्ट आयात में वृद्धि
- 2 दुनिया भर में ई-अपशिष्ट की सुनामी
- 3 नाइट्रोजन प्रदूषण अध्ययन
- 4 जलवायु परिवर्तन सुरक्षा का मुद्दा
- 5 भारत में बढ़ते तापमान का प्रभाव
- 6 वैश्विक भूमि क्षरण और वन आवरण में कमी
- 7 पश्चिमी घाट में नदियों के जलग्रहण क्षमता पर प्रभाव
- 8 नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य से चूक सकता है भारत