स्वदेशी बीजों का संरक्षण : आधुनिक कृषि पद्धतियों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक - डॉ. अमरजीत भार्गव
स्वदेशी बीजों के संरक्षण की प्रक्रिया को सार्वभौमिक बनाने के लिए सरकारी नीतियों तथा अन्य उपायों को लागू करने के साथ जन-जागरूकता कार्यक्रमों को चलाया जाना आवश्यक है। इससे किसानों तथा समाज के अन्य समुदायों को जागरूक करने में सहायता मिलेगी। स्वदेशी एवं परंपरागत बीजों के लाभों के विषय में राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर सेमिनार तथा संगोष्ठियों का आयोजन करके शैक्षणिक जगत में भी लोगों को इनके लाभों से अवगत कराया जा सकता है। आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी स्वदेशी बीजों के संरक्षण में अभूतपूर्व भूमिका निभा सकती है। अतः कृषि विकास के क्षेत्र में इस विषय से संबंधित शोध एवं ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 भारत की पाण्डुलिपि धरोहर प्राचीन ज्ञान का अमूल्य भंडार - संपादकीय डेस्क
- 2 ब्लू इकॉनमी व सतत समुद्री प्रगति भारत का दृष्टिकोण एवं रणनीति - आलोक सिंह
- 3 सतत मृदा प्रबंधन खाद्य सुरक्षा, जलवायु और जीवन का आधार - आलोक सिंह
- 4 माइक्रोप्लास्टिक संकट : मानव स्वास्थ्य एवं पारिस्थितिक तंत्र के लिए अदृश्य खतरा
- 5 भारत के परिवहन क्षेत्र का विकार्बनीकरण
- 6 ब्रिक्स एवं वैश्विक दक्षिण - आलोक सिंह
- 7 भारत की दुर्लभ भू-संपदा का समुचित दोहन: एक रणनीतिक अनिवार्यता - नुपुर जोशी
- 8 प्रौद्योगिकीय आत्मनिर्भरता: भारत की भावी संवृद्धि का एक प्रमुख स्तंभ - संपादकीय डेस्क
- 9 कृत्रिम बुद्धिमत्ता का पर्यावरणीय प्रभाव : नवाचार और धारणीयता का संतुलन
- 10 भारत की वैश्विक रणनीतिक साझेदारियां
- 1 भूमि निम्नीकरण एवं मरुस्थलीकरण : सतत भूमि प्रबंधन की दिशा में आगे बढ़ना जरूरी - संपादकीय डेस्क
- 2 कॉप 27 सम्मेलन : जलवायु परिवर्तन संबंधी विचारणीय मुद्दे एवं भारत की प्रतिबद्धताएं - संपादकीय डेस्क
- 3 प्रौद्योगिकी विकास तथा सामाजिक परिवर्तन : आपसी अंतर्संबंध के माध्यम से विकास को बढ़ावा देना - संपादकीय डेस्क

