भारतीय जेलों में महिला कैदी: संवैधानिक अधिकार बनाम ज़मीनी हकीकत
हाल ही में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भारतीय जेलों में कैदियों, विशेषकर महिला कैदियों एवं उनके साथ रह रहे बच्चों द्वारा सामना की जा रही विभिन्न कठिनाइयों पर स्वत: संज्ञान लिया है। चूंकि जेलें संविधान के तहत राज्य सूची का विषय हैं, इसीलिए इन कठिनाइयों के मद्देनज़र, आयोग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
- यह पहल इसलिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि भारतीय संविधान प्रत्येक नागरिक को गरिमापूर्ण जीवन एवं समानता जैसे मूलभूत अधिकार प्रदान करता है, जिसमें कैदी भी समान रूप से शामिल हैं, ....
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