भारतमाला परियोजना

परिवहन किसी भीदेश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण भाग माना जाता है। भारतके निरंतर और संतुलित विकास में भी सुचारू और समन्वित परिवहन प्रणाली की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए सरकार लगातार अपनी परिवहन प्रणाली को मजबूत बनाने का प्रयास करती रहती है। 25 अक्टूबर, 2017 को केंद्र सरकार ने भारत की सबसे बड़ी और सबसे महत्वाकांक्षी राजमार्ग विकास परियोजना ‘भारतमाला परियोजना’ के चरण-I को औपचारिक रूप से मंजूरी दे दी है। इससे पूर्व सार्वजनिक निवेश बोर्ड (पीआईबी) ने इस साल जून में परियोजना के चरण-I को मंजूरी दी थी। भारतमाल परियोजना एक अम्ब्रेला राजमार्ग विकास परियोजना (Umbrella Highway Development Project) है। इसपरियोजना के प्रथम चरण के अंतर्गत 2022 तक कुल मिलाकर 34,800 किमी सड़क मार्ग का निर्माण होगा जिसके लिए 5.32 लाख करोड़ रुपये का निवेश अनुमानित है। भारतमाला के लिए लगभग 600 परियोजनाओं की पहचान की गई है। इस प्रस्तुति में भारतमाला परियोजना पर विस्तार से प्रकाश डाला जा रहा हैः

भारतमाला परियोजना के महत्वपूर्ण बिंदु

  • भारतमाला हाईवे क्षेत्र के लिए एक नया अम्ब्रेला कार्यक्रम (Umbrella Project) है जो महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के अंतराल को पूरा करके देश में सड़क यातायात की दक्षता को विकसित करने व उसे देश के अनुकूलन बनाने पर केंद्रित है।
  • इस कार्यक्रम को मौजूदा राजमार्गों के बुनियादी ढांचे में समय के अंतराल को कम करने हेतु डिजाइन किया गया है ताकि मनुष्य और सामग्री के आवागमन को और अधिक कुशल बनाया जा सके।
  • इस कार्यक्रम के तहत पिछड़े और आदिवासी क्षेत्रें, आर्थिक गतिविधियों के क्षेत्रें, धार्मिक और पर्यटन स्थल, सीमावर्ती क्षेत्रें, तटीय क्षेत्रें और पड़ोसी देशों के साथ व्यापार मार्गों की कनेक्टिविटी आवश्यकताओं को पूरा करने पर विशेष ध्यान दिया गया है।
  • वर्तमान में भारत में छह राष्ट्रीय गलियारे (national corridors) हैं। भारतमाला परियोजना के तहत इनकी संख्या बढाकर 50 की जाएगी।
  • वर्तमान में कुल माल ढुलाई का 40 प्रतिशत राष्ट्रीय राजमार्गों से होता है भारतमाला परियोजना के तहत इसे बढाकर 70 से 80 प्रतिशत तक किया जायेगा।
  • भारतमाला प्रोजेक्ट देश में 550 जिलों को राष्ट्रीय राजमार्गों से जोड़ने में मदद करेगा। वर्तमान में, केवल 300 जिले ही राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़े हैं।
  • भारतमाला से लोजिस्टिक प्रदर्शन सूचकांक (Logistic Performance Index - LPI) में भारत की रैंक में सुधार होगा।
  • यह परियोजना निर्माण गतिविधियों में बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करने में मदद करेगी साथ ही राजमार्ग की सुविधाओं का विकास होने से देश के विभिन्न हिस्सों में बढ़ी हुई आर्थिक गतिविधि से भी देश में बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करने में मदद करेगी।
  • भारतमाला के चरण- I में करीब 24,800 किलोमीटर की दूरी पर विचार किया जा रहा है। इस में एनएचडीपी के तहत शेष 10,000 किलोमीटर का काम भी शामिल है, इस प्रकार इस परियोजना के प्रथम चरण के अंतर्गत 2022 तक कुल मिलाकर 34,800 किलोमीटर लम्बी सड़कों का निर्माण होगा जिसके लिए 5.32 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जायेगा।
  • भारतमाला चरण I को 2017-18 से 2021-22 के पांच साल की अवधि में कार्यान्वित किया जाना है।
  • भारतमाला सड़क लेन के विस्तार, रिंग सड़कों का निर्माण, आवश्यक बिंदुओं पर बायपास/एलाइटेड गलियारों और लॉजिस्टिक्स पार्क के माध्यम से अपने चोक प्वाइंट को कम करके भारतमाला राष्ट्रीय कॉरिडोर (गोल्डन-चतुर्भुज और एनएस-ईडब्ल्यू गलियारे) की दक्षता में सुधार की कल्पना करता है।
  • भारतमाला कार्यक्रम के तहत लगभग 26,200 किलोमीटर के ऐसे आर्थिक कॉरिडोर की पहचान की गई है जिसपर माल ढुलाई का भारी ट्रेफिक रहता है, जिसमें से 9, 000 किमी- को 1,20,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से चरण-प् में विकसित किया जायेगा।
  • करीब 8,000 किमी के अंतर-कोरिडोर (Inter- Corridors) और करीब 7,500 किलोमीटर फीडर कॉरीडोर को भी भारतमाला के तहत पहचाना गया है, जिनमें से लगभग 6000 किलोमीटर की दूरी को चरण- प् में 80,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत द्वारा विकसित किया जायेगा।
  • भारतमला ने नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और म्यांमार के साथ व्यापार को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के साथ 3300 किलोमीटर की सीमा सड़कें रणनीतिक महत्व और 2,000 किमी- अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी सड़कों का निर्माण करने की भी परिकल्पना की है। जिनमें से 25,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर चरण- प् के तहत 2,000 किलोमीटर की दूरी तय की जा रही है।
  • कार्यक्रम के कार्यान्वयन में राज्य सरकार की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए ‘ग्रैंड चैलेंज' तंत्र (Grand Challenge mechanism) को अपनाया जाना है।