15वें वित्त आयोग का गठन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15वें वित्त आयोग (15th Finance Commission - FFC) का गठन करने के लिए अपनी मंजूरी प्रदान कर दी और 27 नवंबर, 2017 को इसका गठन कर दिया गया। योजना आयोग के पूर्व सदस्य और पूर्व सांसद एन-के- सिंह 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष (Chairman) होंगे। राज्यों के साथ केंद्रीय करों के हस्तांतरण के बारे में आयोग अपनी सिफारिशें 30 अक्टूबर, 2019 तक सौंप देगा। संविधान के अनुच्छेद 280(1) के तहत यह एक संवैधानिक प्रक्रिया है। आयोग के 4 सदस्य होंगे जिनका विवरण इस प्रकार है-

  1. शक्तिकांत दास (आर्थिक मामलों के पूर्व सचिव)
  2. अशोक लाहिरी (पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार)
  3. प्रो- डॉ- अनूप सिंह (जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी)
  4. रमेश चंद (सदस्य, नीति आयोग)

15वां वित्त आयोग 1 अप्रैल, 2020 से लेकर 31 मार्च, 2025 तक की 5 वर्षों की अवधि के लिए सिफारिशों को कवर करेगा। 15वें वित्त आयोग के गठन हेतु वित्त मंत्रलय द्वारा केंद्रीय बजट 2017-18 में 10 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। 15वें वित्त आयोग की विशेष बात यह है कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) के 1 जुलाई, 2017 से लागू होने के बाद पहला वित्त आयोग होगा और इसी के चलते यह आयोग अन्य वित्त आयोगों से इतर होगा क्योंकि पहले जहां अप्रत्यक्ष कर प्रणाली लागू थी अब उसके स्थान पर जीएसटी लागू हो गया है।

आयोग का कर्त्तव्य

क) संघ और राज्यों के बीच करों के शुद्ध आगमों के, जो इस अध्याय के अधीन उनमें विभाजित किए जाने हैं या किए जाएं, वितरण के बारे में और राज्यों के बीच ऐसे आगमों के तत्संबंधी भाग के आबंटन के बारे में;

ख) भारत की संचित निधि में से राज्यों के राजस्व में सहायता अनुदान को शासित करने वाले सिद्धांतों के बारे में;

ग) राज्य के वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्य में पंचायतों के संसाधनों की अनुपूर्ति के लिए किसी राज्य की संचित निधि के संवर्धन के लिए आवश्यक अध्युपायों के बारे में;

घ) राज्य के वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्य में नगरपालिकाओं के संसाधनों की अनुपूर्ति के लिए किसी राज्य की संचित निधि के संवर्धन के लिए आवश्यक अध्युपायों के बारे में;

ङ) सुदृढ़ वित्त के हित में राष्ट्रपति द्वारा आयोग को निर्दिष्ट किए गए किसी अन्य विषय के बारे में, राष्ट्रपति को सिफारिश करे।

अर्थशास्त्रीयों के अनुसार इस बार राज्यों की भागीदारी का अनुपात 42% से और बढ़ेगा। अभी तक 14 वित्त आयोगों का गठन किया जा चुका है। 14वें वित्त आयोग का गठन 1 अप्रैल, 2015 से 31 मार्च, 2020 तक की 5 वर्षों की अवधि को कवर करने वाली सिफारिशें देने के लिए 2 जनवरी, 2013 को गठित किया गया था। 14वें वित्त आयोग ने 15 दिसंबर, 2014 को अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था। 14वें वित्त आयोग का गठन भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वी-आई- रेड्डी की अध्यक्षता में किया गया था और इसके अनुसार राज्यों के लिए कर हस्तांतरण अनुपात 42% था जो कि 13वें वित्त आयोग के 32% से 10% अधिक था।

प्रावधान

संविधान के अनुच्छेद 280(1) के अंतर्गत यह प्रावधान है कि संविधान के प्रारंभ से दो वर्ष के भीतर और उसके बाद प्रत्येक 5 वर्ष की समाप्ति पर या पहले इस समय पर, जिसे राष्ट्रपति आवश्यक समझते हैं, एक वित्त आयोग का गठन किया जाएगा। इस आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए परंपरा यह है कि पिछले वित्त आयोग के गठन की तारीख 5 वर्षों के भीतर अगले वित्त आयोग का गठन हो जाता है। यह राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाने वाले एक अध्यक्ष और 4 अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगी। संविधान के अनुच्छेद 280(1) के तहत वित्त आयोग एक वैधानिक निकाय (Statutory Body) है जिसका गठन हर 5 वर्ष पर केंद्र और राज्यों के बीच कर राजस्व हस्तांतरण के लिए किया जाता है। यह भारत के संचित निधि (Consolidated Fund of India) के बाहर राज्यों के राजस्व के अंतरण के लिए सिद्धांतों का भी फैसला करता है। संसद विधि द्वारा उन अर्हताओं का, जो आयोग के सदस्यों के रूप में नियुक्ति के लिए अपेक्षित होंगी और उस रीति का, जिससे उनका चयन किया जाएगा, अवधारण कर सकेगी।