विश्व असमानता रिपोर्ट 2018

विश्व असमानता रिपोर्ट, पेरिस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में स्थित वर्ल्ड असमानता लैब की एक रिपोर्ट है। दिसम्बर 2017 में वर्ल्ड असमानता लैब ने 1980 से 2016 के बीच के 36 वर्षों के वैश्विक आंकड़ों का विश्लेषण कर अपनी पहली ‘विश्व असमानता रिपोर्ट' (World Inequality Report) जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार विश्व के लगभग सभी देशों में आर्थिक असमानता बढ़ रही है। विश्व के 0.1% लोगों के पास विश्व की कुल आय का 13% हिस्सा है। भारत में स्थिति और भी खराब है। भारत में देश के शीर्ष 10% सबसे अमीर लोगों के पास भारत की कुल राष्ट्रीय आय का 55% हिस्सा है।

भारत की स्थिति

भारत में देश के शीर्ष 10% सबसे अमीर लोगों के पास भारत की कुल राष्ट्रीय आय का 55% हिस्सा है। 2014 में भारत के शीर्ष 1% अमीरों के पास राष्ट्रीय आय की 22% हिस्सेदारी थी और शीर्ष 10% अमीरों के पास 56% हिस्सेदारी। 1980 के दशक से भारतीय उदारीकरण, निजीकरण के बाद असमानता काफी बढ़ गई है। भारत में असमानता की वर्तमान स्थिति 1947 में आजादी के बाद के तीन दशकों की स्थिति के बिल्कुल विपरीत है। स्वतंत्रता के बाद के तीन दशकों में आय में असमानता काफी कम हो गई थी और नीचे के 50% लोगों की आमदनी राष्ट्रीय औसत से अधिक हो गई थी। वर्ष 2016 में जो भारत में आय असमानता का स्तर उप-सहारा अफ्रीका और ब्राजील के स्तर जैसा है।

भारत में असमानता कम करने के उपाय

हालांकि केवल कराधान में सुधार इस समस्या का समाधान नहीं है फिर भी प्रगतिशील कर व्यवस्था को अपनाया जाना चाहिए जिसमें अधिक अमीर लोगों पर अधिक कर लगाया जाये क्योंकि वे अधिक कर देने में सक्षम हैं। इस कर को कल्याणकारी नीतियों द्वारा उसे गरीब जनता तक पहुंचाया जाये। शिक्षा, वेतन और कारोबार संबंधी नीतियों का विश्लेषण कर उन्हें गरीब जनता के हित में बनाया जाये। कर चोरी और ब्लैक मनी की समस्या को खत्म करना होगा। पैराडाइज और पनामा पेपर्स मामलों से यह सिद्ध है कि विश्व के धनी लोग कर चोरी में लिप्त हैं। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विश्व की कुल आय का 10% टैक्स-हैवंस देशों में छिपाकर रखा गया है।

सार्वभौमिक बुनियादी आय (universal basic income) भी आय की असमानता को कम करने में सहायक हो सकता है। जैसे किसी प्रोजेक्ट को मंजूरी देते समय उसका पर्यावरण पर प्रभाव का मूल्यांकन किया जाता है, ठीक उसी प्रकार किसी भी योजना, नीति आदि का असमानता पर प्रभाव का मूल्यांकन किया जाना चाहिए। सामाजिक आधारभूत संरचना में सरकारी निवेश को बढ़ाया जाना चाहिए।

वैश्विक परिदृश्य

  • विश्व के 0.1% लोगों के पास विश्व की कुल आय का 13 प्रतिशत हिस्सा।
  • पिछले 36 वर्षों में जो नई संपत्तियाँ सृजित की गई हैं, उनमें भी 27% पर सिर्फ 1% अमीरों का ही अधिकार।
  • आय की सर्वाेच्च श्रेणी में गिने जाने वाले शीर्ष 1% लोगों की कुल संख्या महज 7.5 करोड़ है, जबकि सबसे नीचे के 50% लोगों की कुल संख्या 3.7 अरब।
  • उभरते हुए देशों में 1980 के बाद से किये गए आर्थिक सुधारों और नई आर्थिक नीतियों (पूंजीवाद, उदारवाद, निजीकरण) के लागू होने के बाद यह असमानता और अधिक बढ़ी है। निजीकरण और आय की असमानता के चलते संपत्ति के वितरण में भी असमानता में वृद्धि हो रही है।
  • विश्व की कुल आय का 10% टैक्स-हैवंस में छिपाकर रखा गया है।
  • रिपोर्ट में सचेत किया गया है कि यदि उभरते हुए देश 1980 के बाद की नीतियाँ ही जारी रखते हैं, तो भविष्य में आर्थिक असमानता के और अधिक बढ़ने की संभावना है।

विश्व के विभिन्न क्षेत्रें में आय की विषमता

प्रायः सभी देशों में आय की विषमता में वृद्धि हुई है, किन्तु विश्व के विभिन्न क्षेत्रें में आय की विषमताओं में बहुत अन्तर पाए गए हैं। इनका स्तर यूरोप में निम्नतम और मध्य पूर्व के क्षेत्र में अधिकतम पाया गया है। विश्व के विभिन्न क्षेत्रें में विषमताओं में बहुत अंतर रहा है। वर्ष 2016 में ही यदि राष्ट्रीय आय में विभिन्न देशों में उनके अपने-अपने शीर्ष 10% आय अर्जक वर्ग के अंशों पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि ये अंश यूरोप में 37%, चीन में 41%, रूस में 46%, स. रा. अमेरिका-कनाडा में 47% तथा अफ्रीका, ब्राजील और भारत में 55% के लगभग था। मध्य-पूर्व का क्षेत्र विश्व का गहनतम विषमताग्रस्त क्षेत्र है, यहां शीर्ष 10% वर्ग राष्ट्रीय आय के 61% को हस्तगत कर रहा है।