सर्कुलर अर्थव्यवस्था

सर्कुलर अर्थव्यवस्था (Circular Economy) को संसाधनों के उपयोग की एक प्रणाली के रूप में प्रस्तुत किया जाता है जहां तत्वों में कटौती, पुनः उपयोग और रीसाइक्लिंग प्रचलित है। इसके अंतर्गत उत्पादन प्रक्रिया में तत्वों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने की कोशिश की जाती है तथा कम से कम कच्चे सामग्री की बर्बादी हो इसका ध्यान रखा जाता है। साथ ही उत्पादन प्रक्रिया में बचे उत्पाद का पुनः इस्तेमाल हो सके तथा ये तत्त्व अपने उपयोगी जीवन के अंत में पुनः पर्यावरण में आसानी से लौट सके।

निर्माण सामाग्री को बेकार होने से बचाने के तरीके

  • उत्पाद जीवन विस्तारः लंबे समय के लिए उत्पाद को उसके वास्तविक उद्देश्य हेतु इस्तेमाल करना तथा जरुरत पड़ने पर उसका मरम्मत भी करना ताकि नए उत्पाद के निर्माण की आवश्यकता को कम किया जा सके।
  • एक सेवा के रूप में उत्पादः उपभोक्ता को सिर्फ उत्पाद की सेवा के लिए भुगतान करना चाहिए तथा उसके स्वामित्व के खतरे से बचना चाहिए। उस उत्पाद के स्वामित्व का खर्चा सेवा प्रदाता वहन करे तथा उपभोक्ता सिर्फ उस सेवा का किराया जमा करे।
  • साझा प्लेटफार्मः डिजिटल आधारित प्लेटफार्म का उपयोग संसाधनों तथा वस्तुओं के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने में किया जाना चाहिए जिससे उसके जीवन चक्र को बढ़ाया जा सके जैसे किराये के द्वारा, बेच कर, साझा कर और पुनः उपयोग कर।
  • नवीनीकरणः उत्पाद के निर्माण और डिजाइन करने में नवीकरणीय, पुनः प्रयोज्य, बायोडेग्रेडेबल सामग्रियां का इस्तेमाल सुनिश्चित करना चाहिए, साथ ही ईको-डिजाइन के सिद्धांत का प्रयोग किया जाना चाहिए। जीवाश्म ईंधन को नवीकरणीय ऊर्जा के द्वारा हटाने की जरुरत है।
  • संसाधन कुशलता और रीसाइक्लिंगः प्रभावी रीसाइक्लिंग के लिए तकनीक को विकसित करने की जरुरत है ताकि मूल्यवान कच्चे सामाग्री को आसानी से रीसायकल किया जा सके।
  • अर्थात सर्कुलर अर्थव्यवस्था में उत्पादों के निर्माण में जितना संभव हो सके बायोडिग्रेडेबल सामग्रियों के उपयोग को बढ़ावा दिया जाता है। इसलिए वे अपने उपयोगी जीवन के अंत में पर्यावरणीय क्षति किये बिना प्रकृति में वापस आ सकते हैं। जब ईको-फ्रेंडली सामग्री का उपयोग करना संभव नहीं होता है तब टेक्निकल पोषक तत्वों जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, हार्डवेयर, बैटरियों आदि का उपयोग किया जाता है। इसका उद्देश्य सरल चक्र को आसान बनाने के लिए उन्हें उत्पादन चक्र में पुनः शुरू करने और एक नया जीवन प्रदान करना है। जब ऐसा संभव नहीं होता तब इसे पर्यावरण के साथ एक सम्मानजनक तरीके से पुनर्नवीनीकरण किया जाता है।
  • सर्कुलर अर्थव्यवस्था सेवाओं और इंटेलिजेंट डिजिटल समाधानों के उपयोग और अधिक टिकाऊ, मरम्मत योग्य, पुनः उपयोग करने योग्य और पुनर्नवीकरण उत्पादों की डिजाइन और उत्पादन पर आधारित है।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक लाभों जैसे बड़े लाभ, कार्बन उत्सर्जन कम करने, क्लीनर उत्पादन पद्धतियों और नई नौकरियों के सृजन सहित महत्वपूर्ण फायदे प्रदान करती है। हालांकि सर्कुलर अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से फलीभूत करने के लिए नए तरीके से सोचने, साथ ही प्रक्रिया और उत्पाद डिजाइन के लिए एक नए दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है।
  • हाल ही में फिनलैंड के सित्र (Sitra) नामक स्वतंत्र इनोवेशन फण्ड ने विभिन्न क्षेत्रें में उत्पादन प्रक्रिया के दौरान उत्पाद सामग्री के बेकार होने संबंधी आंकड़े जारी किये हैं तथा इन समस्याओं के समाधान के तरीके बताये हैं जो निम्न हैं-
  • भवन निर्माण के दौरान 10 से 15% निर्माण सामग्री बेकार जाते हैं।
  • उत्पादित भोजन का 31% मूल्य श्रृंखला (Value chain) में बर्बाद हो जाता है।
  • विश्व स्तर पर कारों की औसत ऑक्यूपेंसी दर (Occupancy rate) 80% है, जबकि बाकी के समय में कार का उपयोग नहीं रहता है। कारों के अपरिवर्तनीय उपयोग को कम करने के लिए कार को साझा करने और कार पूलिंग जैसे तरीकों को अपना सकते हैं।
  • 60% कार्यालयों का समय अनुप्रयुक्त है। इसका मतलब है कि केवल40% ही कार्यालयों की ऑक्यूपेंसी दर है।
  • फिनलैंड में काफी कम कीमत पर स्कूलों में बचे हुए दोपहर का भोजन और मुफ्त परिवहन की पेशकश जैसे प्रयोग किये गए हैं। सार्वजनिक परिवहन के एक दिन निःशुल्क यात्र के प्रयोग से पता चला कि सामान्य दिनों से दुगुने यात्रियों ने सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल किया जिससे कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन 60% कम हो गया।