शहरी गरीबों को घर उपलब्ध कराने की पहल

रियल एस्टेट,आवास और बुनियादी ढांचे जो शहरी विकास की कुंजी है, को मद्देनजर रखते हुये इन पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। भारत में शहरी आवासों के लिए 18.78 मिलियन यूनिटों की भारी कमी की पृष्ठभूमि में सरकार ने किफायती और कम लागत वाले आवासों पर ध्यान केंद्रित करते हुए वर्ष 2022 तक ‘सभी के लिए आवास' नामकएक महत्वपूर्ण सुधार पहल शुरू की। शहरी आवास के लिए इस मिशन का उद्देश्य क्रेडिट से जुड़ी सब्सिडी, पीपीपी, लाभार्थियों की अगुवाई में निजी आवास निर्माण के लिए सब्सिडी और मलिन बस्तियोंके पुनर्वास के माध्यम से गरीब तबकों के लिए किफायती आवास को प्रोत्साहन देना है।

प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमए)

प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमए) के अधीन नई क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (सीएलएसएस) ने मध्यम आय वाले लोगों को लाभ पहुंचाने के दृष्टिकोण से 18 लाख रुपये की वार्षिक आय वाले और 12 लाख तक का आवास ऋण का लाभ उठाने वाले लोगों को शामिल करने के उद्देश्य से ब्याज सब्सिडी के दायरे का और विस्तार कर दिया है।

इस उद्देश्य के लिए घर खरीदने वालों और संपत्ति डेवलपर्स के लिए टैक्स में छूट देने के लिए राष्ट्रीय आवास बैंक हेतु 4000 करोड़ रुपये का विशेष प्रावधान किया गया था। इसके अलावा आयकर प्रोत्साहन भी प्रदान किए गए थे।

सीएसआर के अधीन आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और मलिन बस्ती पुनर्विकास को शामिल किए जाने से डेवलपर्स सौ प्रतिशत कर कटौती पाने के हकदार बन गए हैं।

सभी के लिए आवास की दिशा में एक प्रमुख सुधार रियल एस्टेट विनियमन अधिनियम (आरईआरए) है। आरईआरए (1 मई, 2017 से लागू) संपत्ति उपभोक्ताओं को सशक्त बनाता है और रक्षा भी करता है। यहजनता के लिए सस्ते आवास बनाने में मदद करेगा। रियल स्टेट का निष्पक्ष और पारदर्शी लेनदेन के साथ विनियमन करने के उद्देश्य से यहनिवेशकों के आत्मविश्वास को भी बढ़ावा देगा।

बेनामी लेन-देन निषेध विधेयक विमुद्रीकरण सहित काले धन के प्रचलन और परिसंचरण को रोकने के उपायों ने न केवल भूमि औरसम्पत्ति की कीमतों पर प्रभाव डाला है, बल्कि निवेश करने की भावना को भी बढ़ावा दिया है।

बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए केंद्रितसुधारों के माध्यम से शहरी प्रशासन में बदलावलाने के लिए सरकार की रणनीति में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है। समग्र और टिकाऊ विकास के लिए शहरी बुनियादी ढांचे को गति प्रदान करने की रणनीति के एक हिस्से के रूप में अमरूत (पुनरूद्धार और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन) पीएमएवाई, स्मार्ट सिटी मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, शहरी विकास और उन्नयन योजना (एचआरआईडीए) और शहरी परिवहन जैसे शुरू किए गए शहरी मिशनों ने काफी प्रगति दर्शाई है।

अमरूत योजना के तहत 10000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं को कार्य करने हेतु सौंपा जा चुका है। प्रति व्यक्ति के लिए प्रतिदिन पानी की आपूर्ति बढ़ाकर 135 लीटर करने, सीवेज और ड्रेनेज सिस्टम और गैर-मोटर चालित परिवहन का विस्तार करने के अलावा 500 मिशन शहरों में 2 करोड़ शहरी परिवारों के लिए पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 2019-20 तक पूरे मिशन के लिए कुल 77000 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी गई है।

स्मार्ट सिटी मिशन का उद्देश्य 100 शहरों में 13 करोड़ शहरी लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना था जिसमें काफी प्रगति हुई है। 60 मिशन शहरों के लिए कुल 133368 करोड़ रुपये के निवेश की मंजूरी दे दी गई है।