न्यू इंडिया: 2022

प्रधानमंत्री मोदी का संकल्प देश को वर्ष 2022 तक न्यू इण्डिया के रूप में स्थापित करने का है। प्रधानमंत्री के अनुसार 2022 में भारत की आजादी के 75 साल पूरे होंगे और तब तक न्यू इण्डिया के सपने को पूरा करने के लिए एक आन्दोलन करना है। न्यू इण्डिया देश के युवाओं के लिए नए अवसर की मांग करता है। इसके तहत एक नए भारत का उदय होना है। यह नौजवानों के सपनों का न्यू इण्डिया व अभूतपूर्व रूप से जागरूक महिलाओं के सपनों का न्यू इण्डिया होगा।

उपरोक्त कथन में प्रधानमंत्री मोदी के साथ-साथ देश के साधारण से लेकर प्रबुद्ध जिम्मेदार हर नागरिक के सपनों के भारत की रूपरेखा का चित्र नजर आता है। न्यू इण्डिया 2022 वास्तविक रूप से देश को एक गतिशील और उत्साही जनसंख्या के रूप में देखता है। भारत सरकार, नीति आयोग व राज्यों के नेतृत्व के साथ-साथ उसके विभिन्न संस्थानों को बदलते माहौल के अनुकूल होना भी बेहद जरूरी है। इस प्रस्ताव के में आने वाली चुनौतियों को भी मन से अपनाने का संकल्प निहित है।

वैसे नये भारत के निर्माण की प्रक्रिया का एक घटक तो 24 जुलाई, 1991 में भारत सरकार के महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों के साथ ही शुरू हो गया था जिसमें विदेशी व्यापार उदारीकरण वित्तीय उदारीकरण, कर सुधार और विदेशी निवेश के प्रति आग्रह शामिल था। इन आर्थिक सुधारों ने भारत की अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद की। आज भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की 5 बड़ी अर्थव्यवस्था में शामिल हो चुकी है। भारत के बदलाव की जो यात्र देश ने 1991 में शुरू की थी वह 25 वर्षों के बाद धीमे होने लगी। उदारीकरण से भारत में संवृद्धि तो आयी लेकिन ये अपने साथ घोर आर्थिक विषमता, क्षेत्रीय विकास की असमानता, शहरों-गांवों में विकास के स्तर पर भारी विरोध और विषमता लेकर आयी जो सम्पन्न था और सम्पन्न होता गया, जो पिछड़ा था और पिछड़ता गया; ऐसे में समाज में जातीय, सांप्रदायिक और लैंगिक स्तर पर तनाव उत्पन्न होने लगा। साथ ही विकास की अनियंत्रित गैर अनुशासित गति और दिशा में पर्यावरण को भी प्रभावित किया जिससे प्राकृतिक आपदाओं का सिलसिला बढ़ चला।

उपरोक्त के आलोक में हमें देखना होगा कि वे कौन सी परिस्थितियां व भौतिक-अभौतिक, सामाजिक, राजनीतिक दशाएं हैं जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने नए भारत के निर्माण का आह्नान किया है। इस संकल्प से सिद्धि की यात्र में कौन से लक्ष्य तय किए गए हैं। नई चुनौतियां हैं देश सरकार और शासन के समक्ष?

न्यू इण्डिया की चुनौतियां

सरकार और शासन के समक्ष कुछ बहुत महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं जिन पर विजय पाना ही ‘न्यू इण्डिया’ का निर्माण करना है।

बेरोजगारीः यद्यपि स्किल इण्डिया, मेक इन इण्डिया और श्रम सुधारों के द्वारा रोजगार वृद्धि दर बढ़ी है, परन्तु हाल के वर्षों में बेराजगारी में वृद्धि ज्यादा रही है। पांचवीं वार्षिक बेरोजगारी रोजगार दर सर्वे 2015-16 के अनुसार बेरोजगारी दर 4.9% से बढ़कर 5% हो गई है। सर्वे के अनुसार करीब 77% परिवारों के पास न तो नियमित आय का कोई साधन है और न ही इन परिवारों में कोई भी वेतनभोगी व्यक्ति है। यह बेरोजगारी पुरुषों के बजाय महिलाओं में ज्यादा है।

जनांकिकी चुनौतीः 1% की दर से बढ़ती हुई भारत की जनसंख्या वर्ष 2022 तक 1.34 बिलियन से बढ़कर 1.40 बिलियन हो जाएगी जबकि भूमि, जल, खनिज और ऊर्जा की क्षमता सीमित है। अतः कृषि और उद्योग की उत्पादकता बढ़ाना जरूरी है। जनसंख्या के इस वृद्धि दर के सापेक्ष तकनीक और निवेश में नयी-नयी सक्रिय जिम्मेदारियां इसे तीव्र कर सकती हैं।

सामाजिक-आर्थिक अवसंरचना

न्यू इण्डिया का लक्ष्य पाने के लिए सामाजिक और आर्थिक अवसंरचना में गुणात्मक पहल की जरूरत है। हालांकि देश ने इस मोर्चे पर सराहनीय प्रगति की है जैसा कि विश्व व्यापार मंच के ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार भारत 2015-16 के 81वें पायदान से प्रगति करते हुए 2016-17 में 68वें स्थान पर पहुंच गया।

स्वास्थ्य और शिक्षाः भारत, मानव विकास सूचकांक में 188 देशों में 131वें स्थान पर है जो विकास के मानवीय पहलू में भारत की कमजोर स्थिति का प्रदर्शन करता है। भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में गुणात्मक बदलाव नहीं हो पाए हैं। न्यू इण्डिया के निर्माण के लिए जीवन की गुणवत्ता बढ़ानी होगी।

सुरक्षा चुनौतियां: भारत घरेलू व बाह्य मोर्चे पर सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है। सीमापार आतंकवाद, अवैध घुसपैठ, भारत-चीन सीमा विवाद, उत्तर पूर्व राज्यों में अलगाववादी आंदोलन, वामपंथी आतंकवाद आदि देश की अखण्डता और स्थिरता के लिए चुनौती हैं। डोकलाम सीमा विवाद, चीन की वन बेल्ट वन रोड योजना के तहत पाकिस्तान-चीन आर्थिक गलियारा, दक्षिण चीन-सागर स्थित 9 डैश लाइन (Nine Dash Line) में चीनी हठधर्मिता आने वाले 5 वर्षों के दौरान सुरक्षा चुनौतियां पेश कर रही हैं।

स्मार्ट सिटी

न्यू इण्डिया की संरचना में स्मार्ट सिटी एक महत्वपूर्ण मिशन है। स्मार्ट सिटी का मकसद-

  • शहरी जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना।
  • स्वच्छ पर्यावरण उपलब्ध कराना।
  • शहरों की छवि खराब करती झुग्गी झोपडि़यों को हटाना।
  • झुग्गी में रहने वालों को वैकल्पिक सुविधा मुहैया कराना।
  • शहरी संसाधनों और बुनियादी संरचनाओं का लक्ष्य ढंग से विकासित करना।
  • वर्ष 2022 तक सबको आवास उपलब्ध कराना।

आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन

मानवजनित आपदाओं के साथ-साथ भारत प्राकृतिक आपदा से असुरक्षित देश है। 58% से ज्यादा भूमि उच्च तीव्रता के भूकम्प से प्रभावित हैं, 12% से ज्यादा भूमि बाढ़ व भूमि क्षरण से प्रभावित है, 7516 किमी- तटीय क्षेत्र में से 5700 किमी- क्षेत्र सुनामी और चक्रवात से प्रभावित रहते हैं, 68% कृषि क्षेत्र, सूखा से पीडि़त है। इन आपदाओं से सामाजिक तनाव और अर्थव्यवस्था में अधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

स्मार्ट सिटी, आदर्श गांव के साथ-साथ देश के 100 सबसे पिछड़े जिलों के कायाकल्प करने का संकल्प सरकार ने लिया है। ये देश के विभिन्न राज्यों से चयनित होंगे। इन जिलों की उचित सम्यक विकास योजनाओं की निगरानी रखने के लिए केन्द्र सरकार स्तर के अतिरिक्त व संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। बदलाव की इस मुहिम में कौशल इण्डिया बहुत महत्वकांक्षी योजना है।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य भारतीय युवाओं के कौशल विकास के लिए अवसर, स्थान और स्कोप बनाना है एवं उन क्षेत्रें में जहां कई सालों से विकास नहीं हुआ है उसे अधिक विकसित करना और कौशल विकास के लिए नए क्षेत्रें की पहचान करना है। इसका लक्ष्य वर्ष 2022 तक भारत के लगभग 40 करोड़ युवाओं को उनके कौशल विकास के लिए प्रशिक्षित करना भी है जिससे एक कार्यशील, सक्षम युवाओं से युक्त नये भारत का निर्माण हो सकेगा। सम्पूर्ण दृष्टिकोण को नीति आयोग के 2022 डॉक्यूमेंट के माध्यम से देखें तो उम्मीद की जा सकती है कि 2022 तक भारत, गरीबी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, जातिवाद और साम्प्रदायिकता से मुक्त होगा।