तेल मूल्यों का उदारीकरण

देश की तीन सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों ने (हिंदुस्तान पेट्रोलियम, भारत पेट्रोलियम व इंडियन ऑयल) देश के पांच शहरों में वैश्विक मूल्य के संगत पेट्रोल-डीजल के दामों में रोज बदलाव करने की योजना प्रायोगिक आधार पर लागू की है। यदि यहां प्रयोग सफल रहा तो धीरे-धीरे देश के सभी हिस्सों में दैनिक मूल्य समीक्षा की योजना लागू कर कर दी जाएगी। तेल वितरण कंपनियां ने केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम, राजस्थान के उदयपुर, झारखंड के जमशेदपुर (टाटा) के साथ-साथ चंडीगढ़ में 1 मई से इसकी शुरुआत की गई है। इंडियन ऑइल, भारत पेट्रोलियम कॉर्प और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्प देश के 90 प्रतिशत पेट्रोल पंपों का संचालन करती हैं। इन पांच शहरों में ‘डेली डाइनैमिक प्राइसिंग’ (दैनिक गतिशील मूल्यन) लागू करने से इसे देशव्यापी स्तर पर लागू करने से पहले ही समस्याओं का पता चल जाएगा।

वैसे सरकार की योजना इसी साल तक पूरे देश में ‘डेली डाइनैमिक प्राइसिंग’ लागू करने की योजना है। अभी हर 15 दिन पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों की समीक्षा की जाती है ताकि अंतरराष्ट्रीय कीमतों से तालमेल बिठाया जा सके। यह समीक्षा विगत पूर्ववर्ती 15 दिनों के औसत मूल्य व विनिमय दर के आधार पर की जाती है, किंतु अब अंतरराष्ट्रीय मूल्य व डॉलर-रुपये विनिमिय दर के आधार पर प्रतिदिन निर्धारित की जाएगी जिसका मतलब है वैश्विक तेल बाजार की गतिशीलता से इसका समन्वयन।

उपभोक्ता पर पड़ने वाला प्रभाव

यह कदम कई रूपों में देश एवं उपभोक्ता को प्रभावित करेगा। प्रतिस्पर्धी तेल मूल्य का फायदा अब भारतीय खुदरा उपभोक्ता उठा सकेंगे। मई 2014, जब मौजूदा एनडीए सरकार सत्ता में आयी तब से तेल का अंतरराष्ट्रीय मूल्य 108 डॉलर प्रति बैरल (1 बैरल 159 लीटर के बराबर) से गिरकर 55 बैरल प्रति डॉलर हो गया। परंतु इसी अवधि में दिल्ली में पेट्रोल का खुदरा मूल्य 71.41 रुपये प्रति लीटर से महज 5 रुपये घटकर 66.29 रुपये प्रति लीटर हुआ। तेल के अंतरराष्ट्रीय मूल्यों में गिरावट को घरेलू स्तर पर उत्पाद कर में वृद्धि कर सरकार इस लाभ को अपने पास रखती रही है। भारत में आयात मूल्यन तुल्यता (इंपोर्ट प्राइस पैरिटी) अपनायी जाती है जिसमें सरकारी उपक्रम एवं कुछ निजी कंपनियां समान मूल्य पर तेल बेचती हैं। परिपक्व बाजार के विपरीत किसी एक भारतीय शहर के भीतर के पेट्रोल पंपों पर तेल मूल्य में भिन्नता नहीं मिलती और उपभोक्ताओं के पास तेल मूल्य के संदर्भ में कोई विकल्प भी नहीं होता।

तेल विपणन कंपनियों को लाभ

सभी तेल विपणन कंपनियां अपने राजस्व या हानि का अग्रिम ही अनुमान लगा सकते हैं। यह उनकी तिमाही नतीजों में किसी प्रकार के संदेह को समाप्त कर देगा। आमतौर पर तेल विपणन कंपनियां वैश्विक तेल मूल्य तथा उपभोक्ताओं को वास्तविक बिक्री मूल्य में किसी प्रकार के अंतर को समाप्त करने के लिए हेज फंड रखते हैं। इस हेज फंड को रखने पर होने वाले व्यय को अब बचाया जा सकेगा और एक अनुमान के अनुसार इससे 5-7% राजस्व में बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा डायनामिक प्राइसिंग की वजह से सरकार देश की चारों तेल कंपनियों का विलय कर एक कंपनी बना सकती है।

उपभोक्ताओं को लाभ

तेल मूल्य या रुपये की विनिमय दर में दैनिक लघु परिवर्तन को उपभोक्ता अधिक महसूस भी नहीं करेंगे। उन्हें अलग-अलग पेट्रोल पंपों पर हो सकता है अलग-अलग मूल्यों पर पेट्रोल मिले। यह परिवर्तन महज चंद पैसों में होगा। हालांकि किसी बड़ी अंतरराष्ट्रीय घटना के घटित होने पर तेल मूल्य में अचानक अत्यधिक तेजी या कमी आ सकती है परंतु आमतौर पर अधिक परिवर्तन नहीं होगा।