समावेशी विकास का संयुक्त राष्ट्र एजेंडा 2030

संयुक्त राष्ट्र के महत्वाकांक्षी सतत् विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goal) को 25 सितंबर, 2015 को मंजूर किया गया। इसका उद्देश्य अगले 15 साल में गरीबी और भूख को समाप्त करना और लिंग समानता सुनिश्चित करने के अलावा सभी को सम्मानित जीवन का अवसर उपलब्ध कराना है। अगले 15 वर्षों के एजेंडे पर संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी 193 राष्ट्रों में आम सहमति 2 अगस्त, 2015 को ही हो गई थी। संयुक्त राष्ट्र ने इस नई रूपरेखा ‘‘अपनी दुनिया में बदलावः सतत् विकास के लिए 2030 का एजेंडा’’ को अंगीकार किया। इसमें अगले 15 सालों में गरीबी को पूरी तरह समाप्त करने, असमानता के खिलाफ संघर्ष और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ‘17 लक्ष्य’ और ‘169 उद्देश्य’ तय किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्यों के तहत 2015 तक के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए थे।

इन लक्ष्यों की उपलब्धियों के संबंध में अपनी रिपोर्ट जुलाई 2015 में संयुक्त राष्ट्र ने जारी की थी। नए सतत् विकास लक्ष्यों को 2015 से 2030 के दौरान प्राप्त करने के प्रयास िवभिन्न देशों में किए जाएंगे।

नवीन समग्र विकास एजेंडा शताब्दी विकास लक्ष्यों (Millennium Development Goals) की सफलता के पश्चात तैयार किया गया है, जिससे 700 मिलियन आबादी को निर्धनता से मुक्ति पाने में सहायता मिली। हमारी दुनिया का रूपांतरणः समग्र विकास के लिए एजेंडा 2030’ में लिखा है, ‘‘हमारा संकल्प मानव जाति को निर्धनता के उत्पीड़न से मुक्त करना है और हम अपने ग्रह को निरोग और सुरक्षित बनाना चाहते हैं।’’ प्रस्तावना में आगे लिखा है, ‘विश्व को समग्र एवं लचीले मार्ग पर ले जाने के लिए, जिसकी तत्काल जरूरत है, हम निर्भीक एवं परिवर्तनकारी कदम उठाने को कृतसंकल्प हैं। जबकि हम इस सामूहिक यात्र का आरंभ कर रहे हैं, ऐसे में हमारा संकल्प है कि कोई भी पीछे छूटने नहीं पाए।’