विदेशी दान प्राप्त करना मौलिक अधिकार नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल, 2022 को विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन अधिनियम 2020 [Foreign Contribution (Regulation) Amendment Act 2020] की वैधता को बरकरार रखते हुए कहा कि किसी को भी विदेशी योगदान प्राप्त करने का मौलिक या निरपेक्ष अधिकार नहीं है।
- वर्ष 2020 में पारित यह संशोधन अधिनियम गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) द्वारा विदेशी धन की प्राप्ति और उपयोग पर कुछ प्रतिबंध लगाते हुए विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम 2010 में संशोधन का प्रावधान करता है।
निर्णय के मुख्य बिंदु
- सर्वोच्च न्यायालय ने तर्क दिया कि विदेशी धन का अनियंत्रित प्रवाह राष्ट्र की संप्रभुता को खतरे में डाल सकता है। गैर-सरकारी संगठनों ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 ‘विकसित भारत स्ट्रैटेजी रूम’ का उद्घाटन
- 2 देश में रक्षा विनिर्माण के अवसरों पर सम्मेलन
- 3 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के विचारार्थ विषयों को स्वीकृति
- 4 राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (NCMC) की समीक्षा बैठक
- 5 असम सरकार लगाएगी बहुविवाह (Polygamy) पर प्रतिबंध
- 6 धर्म की स्वतंत्रता और निजता का अधिकार परस्पर अंतर्संबंधित
- 7 7 वर्ष के अनुभव वाले न्यायिक अधिकारी जिला न्यायाधीश पद हेतु पात्र
- 8 सिद्दी जनजातीय समुदाय
- 9 पुनर्वास शिक्षा में परिवर्तन हेतु सुधारों की घोषणा
- 10 बोडो समुदाय का बाथौ धर्म

