सोहराई भित्ति चित्र
ओडिशा और झारखंड के आदिवासी संथाली समुदाय अपने पारंपरिक सोहराई भित्ति चित्रों (Sohrai murals) को आधुनिकता में बदलने के अपने तौर तरीकों में बदलाव ला रहे हैं।
सोहराई खोवर चित्र:
- सोहराई खोवर चित्रकला स्थानीय आदिवासी संथाली महिलाओं द्वारा आमतौर पर दीपावली या काली पूजा के साथ शुरू होने वाले फसल उत्सव सोहराई को चिह्नित करने के लिए अपने घरों की दीवारों को चित्रित करने वाली कला है।
- समारोहों या विशेष अवसरों जैसे शादियों और प्रसव के दौरान भी दीवारों को सजाकर इस कला को दर्शाया जाता है।
- इस कला शैली में रेखाओं, बिंदुओं, जानवरों की आकृतियों और पौधों की प्रचुरता वाले चित्रों ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 कर्मा उत्सव
- 2 बथुकम्मा उत्सव
- 3 उन्मेषः अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव
- 4 नुआखाई महोत्सव 2025
- 5 राष्ट्रीय अभिलेखपाल समिति की 50वीं स्वर्ण जयंती बैठक
- 6 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100 वर्ष
- 7 पूम्पुहार (कावेरीपट्टनम)
- 8 दादाभाई नौरोजी: आर्थिक राष्ट्रवाद के जनक
- 9 बुद्ध के पवित्र अवशेषों की रूस में ”प्रथम प्रदर्शनी“
- 10 त्रिपुर सुंदरी मंदिर