वैश्विक मंदी एवं भारत 2008 बनाम 2019
सरकार और आरबीआई ने हाल ही में गिरती अर्थव्यवस्था को सुधारने तथा बाजार में तरलता को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। उदाहरण के लिए, नीतिगत दरों (policy rates) एवं कॉर्पाेरेट करों में कटौती की गयी है। हालांकि, ये कदम लंबे समय में अर्थव्यवस्था के लिए अल्पकालिक उपाय साबित हो सकते हैं।
12सितंबर, 2019 को ईसीबी अर्थात यूरोपीय सेंट्रल बैंक (European Central Bank - ECB) ने जमा ब्याज दरों में कमी की और यूरो क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए बॉन्ड ऽरीद और प्रोत्साहन पैकेज को मंजूरी दी। ईसीबी द्वारा उठाए गए ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 कृत्रिम बुद्धिमत्ता का पर्यावरणीय प्रभाव : नवाचार और धारणीयता का संतुलन
- 2 भारत की वैश्विक रणनीतिक साझेदारियां
- 3 भारत की साइबर प्रतिरोधक क्षमता का सुदृढ़ीकरण एक राष्ट्रीय सुरक्षा अनिवार्यता - संपादकीय डेस्क
- 4 पुनरुत्थान के मार्ग पर बिम्सटेक भारत के लिए रणनीतिक एवं आर्थिक अवसर - आलोक सिंह
- 5 डिजिटलीकरण: सामाजिक परिवर्तन का उत्प्रेरक - संपादकीय डेस्क
- 6 अमेरिका की नई टैरिफ नीति वैश्विक व्यापार युद्ध की दस्तक - डॉ. उदय भान सिंह
- 7 पीटलैंड्स का संरक्षण वैश्विक तापमान वृद्धि से निपटने का सतत समाधान - संपादकीय डेस्क
- 8 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम संभावनाएं, चुनौतियां एवं समाधान - डॉ. अमरजीत भार्गव
- 9 हिंद महासागर क्षेत्र परिवर्तनशील भू-राजनीतिक परिदृश्य में भारत की आर्थिक एवं रणनीतिक अनिवार्यताएं - आलोक सिंह
- 10 भारत में उच्च शिक्षा सुधार रोज़गार क्षमता और अनुसंधान मानकों में वृद्धि आवश्यक - डॉ. अमरजीत भार्गव