103वें संविधान संशोधन की संवैधानिक वैधता का परीक्षण
सुप्रीम कोर्ट की 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए 10% आरक्षण का प्रावधान करने वाले 103वें संविधान संशोधन अधिनियम की वैधता पर विचार कर रही है।
- प्रधान न्यायाधीश जस्टिस यू.यू. ललित की अध्यक्षता वाली यह पीठ इस बात की जांच कर रही है कि क्या 103वां संविधान संशोधन अधिनियम संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करता है अथवा नहीं।
- याचिकाकर्ताओं ने इस संशोधन को इस आधार पर भी चुनौती दी है कि यह इंद्रा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट के 1992 के फैसले का उल्लंघन करता है। इंद्रा साहनी ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 सीबीएसई का बड़ा कदम: स्कूलों में ‘शुगर बोर्ड’ अनिवार्य
- 2 रोहिंग्याओं से संबंधित मामलों का निपटान विदेशी अधिनियम के तहत
- 3 नए मल्टी एजेंसी सेंटर (MAC) का उद्घाटन
- 4 नीति फ्रंटियर टेक हब (NITI-FTH) द्वारा उच्च-स्तरीय कार्यशाला का आयोजन
- 5 'राष्ट्रीय कर्मयोगी - व्यापक जन सेवा कार्यक्रम' के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम
- 6 युग्म नवाचार सम्मेलन
- 7 वन भूमि के गैर-वानिकी आवंटन पर राज्य एसआईटी गठित करें: सुप्रीम कोर्ट
- 8 ‘DNTs के आर्थिक सशक्तीकरण की योजना’ के क्रियान्वयन की समीक्षा
- 9 समावेशी भारत शिखर सम्मेलन 2025
- 10 कोझिकोड को WHO की "एज-फ्रेंडली सिटीज़ नेटवर्क" में स्थान