भारतीय कानूनों में लैंगिक तटस्थता: एक अधूरा एजेंडा
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में भारतीय न्याय संहिता की धारा 85 (दहेज उत्पीड़न) और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 144 (भरण-पोषण) को लैंगिक-तटस्थ बनाए जाने की मांग की गई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि कानून बनाना या उसमें संशोधन करना विधायिका का अधिकार क्षेत्र है, न कि न्यायपालिका का।
- यह प्रकरण न केवल विधायी और न्यायिक दायित्वों की सीमाओं को रेखांकित करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारतीय कानूनों में लैंगिक तटस्थता को लेकर एक स्पष्ट और समावेशी दृष्टिकोण अभी तक विकसित ....
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