समावेशी डिजिटल पहुंच: जीवन एवं स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का अभिन्न अंग
30 अप्रैल, 2025 को ‘प्रज्ञा प्रसून बनाम भारत संघ’ वाद में निर्णय देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ई-गवर्नेंस और कल्याणकारी सेवाओं तक समावेशी और सार्थक डिजिटल पहुंच, जीवन एवं स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का एक हिस्सा है।
- न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला एवं आर. महादेवन की पीठ द्वारा दिया गया यह निर्णय एसिड अटैक सर्वाइवर्स के एक समूह द्वारा दायर याचिका और एक दृष्टिबाधित व्यक्ति की याचिका पर आधारित था।
- याचिकाकर्ताओं ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि एसिड अटैक पीड़ितों सहित विकलांग लोगों के लिए डिजिटल KYC प्रक्रियाओं को सफलतापूर्वक पूरा करना लगभग असंभव है।
निर्णय के मुख्य बिंदु
- समावेशी ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 जलीय कृषि में प्रौद्योगिकी और नवाचार का उपयोग: सतत भविष्य का आधार
- 2 भारत का समुद्री भू-आधिकार: अरब सागर के विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ पर विधिक दावा
- 3 भारत में ई-कॉमर्स का तेजी से बढ़ता विस्तार: उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा
- 4 भारतीय कानूनों में लैंगिक तटस्थता: एक अधूरा एजेंडा
- 5 मानव विकास रिपोर्ट में भारत: प्रगति की झलक एवं एआई युग में समावेशी विकास की चुनौतियां
- 6 वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ भारत की बहु-आयामी रणनीति: विश्लेषण
- 7 भारत में जाति जनगणना: नीतिगत सुधार एवं सामाजिक समावेशन की दिशा में कदम
- 8 भारत में नागरिक सुरक्षा: चुनौतियां, तैयारी और सुधार की दिशा
- 9 डि-एक्सटिंक्शन: एक नीतिशास्त्रीय दृष्टिकोण
- 10 भारत के मुक्त व्यापार समझौतों में कृषि क्षेत्र अनुपस्थित क्यों?
करेंट अफेयर्स के चर्चित मुद्दे
- 1 कलादान परियोजना: पूर्वोत्तर भारत के लिए वैकल्पिक संपर्क का रणनीतिक विकल्प
- 2 भारत के मुक्त व्यापार समझौतों में कृषि क्षेत्र अनुपस्थित क्यों?
- 3 डि-एक्सटिंक्शन: एक नीतिशास्त्रीय दृष्टिकोण
- 4 भारत में नागरिक सुरक्षा: चुनौतियां, तैयारी और सुधार की दिशा
- 5 भारत में जाति जनगणना: नीतिगत सुधार एवं सामाजिक समावेशन की दिशा में कदम
- 6 वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ भारत की बहु-आयामी रणनीति: विश्लेषण
- 7 मानव विकास रिपोर्ट में भारत: प्रगति की झलक एवं एआई युग में समावेशी विकास की चुनौतियां
- 8 भारतीय कानूनों में लैंगिक तटस्थता: एक अधूरा एजेंडा
- 9 भारत में ई-कॉमर्स का तेजी से बढ़ता विस्तार: उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा
- 10 भारत का समुद्री भू-आधिकार: अरब सागर के विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ पर विधिक दावा
- 11 जलीय कृषि में प्रौद्योगिकी और नवाचार का उपयोग: सतत भविष्य का आधार