जलवायु परिवर्तन तथा नागरिक अधिकार: गुणवत्तापूर्ण जीवन हेतु स्वच्छ एवं स्वस्थ पर्यावरण की आवश्यकता
हाल ही में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक निर्णय देते हुए कहा है कि नागरिकों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद-21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) के तहत जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से मुक्त होने का अधिकार है।
- न्यायालय के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन और मानवाधिकारों के संबंधों पर तेजी से ध्यान दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति में, भारतीय संविधान के तहत प्रदत नागरिक अधिकारों के दायरे में वृद्धि किया जाना आवश्यक है।
- सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और लेसर फ़्लोरिकन के संरक्षण से जुड़े ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 समुद्री शैवाल: भारत की तटीय समृद्धि का नया आधार
- 2 भारत के रक्षा निर्यात में वृद्धि: आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम
- 3 भारतीय न्याय प्रणाली में पर्यावरण-केंद्रित दृष्टिकोण का विकास
- 4 भारतीय जेलों में महिला कैदी: संवैधानिक अधिकार बनाम ज़मीनी हकीकत
- 5 भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था वैश्विक प्रतिस्पर्धा हेतु नवाचार और सहयोग आवश्यक
- 6 भारत-मॉरीशस संबंध मजबूत साझेदारी की नई ऊंचाइयों की ओर
- 7 समुद्र-तल युद्ध आधुनिक भू-तकनीकी संघर्ष का नया आयाम
- 8 अंतरराष्ट्रीय मंचों से अमेरिका का अलग होना: प्रभाव और निहितार्थ
- 9 कृत्रिम बुद्धिमत्ता, भारत में न्याय वितरण में किस प्रकार क्रांति ला सकती है?
- 10 भारत-श्रीलंका मत्स्य विवाद: कारण प्रभाव एवं संभावित समाधान