व्यावसायिक उद्देश्य से की गई टिप्पणी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं

25 अगस्त, 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का व्यावसायीकरण कर रहे हैं और उनकी टिप्पणियां विकलांगों, महिलाओं, बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों तथा अल्पसंख्यकों जैसे समाज के विविध समूहों की भावनाओं को आहत कर सकती हैं।

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यावसायिक तथा निषिद्ध टिप्पणियां मौलिक अधिकार के दायरे में नहीं आतीं।

मामला क्या था?

  • अदालत ने यह टिप्पणी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान की; यह याचिका स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी (SMA) नामक एक गैर-लाभकारी संगठन द्वारा दायर की गई थी; यह संगठन एक दुर्लभ एवं गंभीर आनुवंशिक रोग—से प्रभावित व्यक्तियों के समर्थन में काम ....
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