भारतीय मुद्रा के अंतरराष्ट्रीयकरण की आवश्यकता का वर्णन करते हुए इसके लाभों एवं संबंधित जोखिमों की चर्चा करें?

उत्तरः भारतीय मुद्रा का अंतरराष्ट्रीयकरण एक प्रक्रिया है, जिसमें सीमा-पार लेनदेन में रुपये के उपयोग को बढ़ावा दिया जाता है। वर्ष 2022 के आंकड़ों के अनुसार, वैश्विक व्यापार में रुपये की हिस्सेदारी 1.7% से कम थी, जबकि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर की हिस्सेदारी लगभग 88% दर्ज की गई थी।

मुद्रा के अंतरराष्ट्रीयकरण की आवश्यकता

  • वैश्विक मुद्रास्फीति और आर्थिक संकट के साथ डॉलर पर अत्यधिक निर्भरता के कारण रुपये का अवमूल्यन एक बड़ी चुनौती है।
  • रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण होने पर भारत को अपने व्यापार के लिए अमेरिकी डॉलर पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
  • भारतीय रिजर्व बैंक ने घरेलू व्यापारियों को अपने आयात-निर्यात बिलों ....
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