‘विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों’ (PVTGs) के निर्धारण के लिए किन मानदंडों का उपयोग किया जाता है? इन जनजातीय समूहों द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं का वर्णन करते हुए मुद्दों के समाधान हेतु सरकार द्वारा उठाए गए उपायों का उल्लेख करें।

उत्तरः ढेबर आयोग (1973) द्वारा सामाजिक-आर्थिक रूप से अत्यधिक पिछड़े जनजातीय समूहों को प्राप्त ‘आदिम जनजातीय समूह’ (PTGs) की पहचान को वर्ष 2006 में बदलकर ‘विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह’ (PVTGs) कर दिया गया। वर्तमान में देश के 18 राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेश अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में 75 PVTGs अधिसूचित हैं।

PVTGs के निर्धारण हेतु मानदंड

  • प्रौद्योगिकी का पूर्व-कृषि स्तर;
  • स्थिर या घटती जनसंख्या;
  • अत्यंत कम साक्षरता और
  • अर्थव्यवस्था का निर्वाह स्तर।

विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों की समस्याएं

  • इनकी पहचान हेतु उपयोग की जाने वाली पुरानी सूची में ओवरलैपिंग और पुनरावृत्ति देखने को मिलती है। उदाहरण- ओडिशा में मैनकिडिया और ....

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