यद्यपि भारत में क्षेत्रवाद प्रायः सांस्कृतिक अभिकथन और विकासात्मक माँगों का माध्यम रहा है, यह राष्ट्रीय एकीकरण के लिए चुनौतियाँ भी उत्पन्न कर सकता है। विश्लेषण कीजिए।

उत्तर: क्षेत्रवाद से तात्पर्य किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र के साथ लोगों की गहरी पहचान से है, जिसके साथ अक्सर अधिक स्वायत्तता, राजनीतिक शक्ति और चरम मामलों में, अलगाव की माँगें भी जुड़ी होती हैं।

  • भूगोल, भाषा, धर्म, जातीयता और संस्कृति की दृष्टि से भारत की विविधता ने सांस्कृतिक दावे और विकासात्मक माँगों के साथ-साथ क्षेत्रवाद के उदय को जन्म दिया।

भारत में क्षेत्रवाद: सांस्कृतिक अभिपुष्टि और विकास का माध्यम

  • क्षेत्रीय भाषा का संवर्धन: क्षेत्रवाद समुदायों को अपनी मूल भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन में सक्षम बनाता है।
    • उदाहरण: भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में 22 आधिकारिक भाषाएँ शामिल हैं।
  • पहचान का ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री

प्रश्न पत्र