डिजिटल पहुँच भारत में सहभागी लोकतंत्र का 'नया प्रवेश द्वार' बन गई है। इस संदर्भ में, डिजिटल पहुँच को मौलिक अधिकार घोषित करने वाला सर्वोच्च न्यायालय का 2025 का फैसला सहभागी लोकतंत्र को कैसे मज़बूत करता है? उपयुक्त उदाहरणों के साथ अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसले में, डिजिटल पहुंच को अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का एक पहलू घोषित किया। यह फैसला यह सुनिश्चित करके भारत के सहभागी लोकतंत्र को मजबूत करता है कि कोई भी नागरिक डिजिटल विभाजन में पीछे न छूटे।

यह निर्णय सहभागी लोकतंत्र को कैसे मजबूत करता है?

  • शासन पहुँच में डिजिटल विभाजन को पाटना: कल्याणकारी योजनाओं, शिकायत निवारण और सार्वजनिक सेवाओं के लिए अब डिजिटल पहुँच एक पूर्वापेक्षा है। उदाहरण: झारखंड में कई ग्रामीण नागरिक आधार-लिंक्ड डिजिटल बाधाओं के कारण अपनी मनरेगा मज़दूरी ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री

प्रश्न पत्र