एशियाई शेर और केनाइन डिस्टेम्पर वायरस

एशियाई शेरों के सुरक्षित अभयारण्य के रूप में देश-विदेश में पहचान रखने वाले गिर वन में हुई 23 शेरों की मौत से इस प्रजाति के संरक्षण पर प्रश्न चिह्न लग गया है। ज्यादातर शेरों की मौत ‘केनाइन डिस्टेम्पर वायरस’ (Canine Distemper Virus) से हुई।

  • इस घटना के बाद इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) तथा नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (National Institutue of Virology), पुणे द्वारा गिर शेरों के लिए किये गये केनाइन डिस्टेम्पर वायरस परीक्षण में ज्यादातर नमूने पॉजिटिव पाये गये।
  • गिर शेरों को इस बीमारी के प्रकोप से तथा एक ही क्लस्टर में होने से इस प्रजाति के विलुप्त होने का खतरा बढ़ गया है। वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने गिर वन से कुछ शेरों को मध्य प्रदेश के कूनो पालपुर अभयारण्य में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था लेकिन पांच वर्ष बाद भी इस दिशा में कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाये गये।

एशियाई शेरः वर्ष 2015 में की गई शेरों की जनगणना से पता चला है कि 1648.79 वर्ग किलोमीटर के गिर संरक्षित नेटवर्क क्षेत्र में एशियाई शेरों की जनसंख्या 523 थी। इस पूरे नेटवर्क क्षेत्र में गिर राष्ट्रीय पार्क, गिर अभ्यारण्य, पानिया अभ्यारण्य, मितियाला अभ्यारण्य के आसपास का आरक्षित वन, संरक्षित वन और अवर्गीकृत वन शामिल हैं।

केनाइन डिस्टेम्पर वायरस

यह एक संक्रामक बीमारी है जो कुत्तों, लोमडि़यों, भेडि़यों तथा प्राइमेट्स में पायी जाती है। यह RNA वायरस द्वारा होता है जो कि परमीक्सोवाइराइडे (Paramyxoviridae) कुल का वायरस है। इंसानों में होने वाला खसरा, गलसुआ (mumps) और ब्रोंकाइटिस रोग इसी कुल के वायरस परमीक्सोवाइराइडे द्वारा होता है। केनाइन डिस्टेम्पर वायरस रीढ़ की हड्डी, मस्तिष्क, श्वसन और जठरांत्र (Gastrointestinal) को भी संक्रमित करता है। इस वायरस द्वारा कुत्तों में मृत्यु दर 50% है।

1994 में अफ्रीकी क्षेत्र के तंजानिया में सेरनगेती (Serengeti) क्षेत्र में इस वायरस द्वारा 1000 शेरों की मृत्यु हुई थी। कुत्तों में अगर टीकाकरण नहीं किया गया तो संक्रमण की संभावना ज्यादा होती है। शुरुआती लक्षणों में आंखों से पस निकलना, बुखार, भूख में कमी आदि शामिल है।