रिकवरी प्रोग्राम में चार संकटग्रस्त प्रजाति शामिल

नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ (एन-बीडब्ल्यूएल) की स्थायी समिति ने हाल ही में चार प्रजातियों- उत्तरी नदी टेरापिन (नदी के कछुए), क्लाउड तेंदुए, अरेबियन सी हंपबैक व्हेल और रेड पांडा को गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए केंद्र के रिकवरी कार्यक्रम में शामिल किया है। उन्हें पर्यावरण और वन मंत्रालय और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (वन्यजीव) के वन्यजीव प्रभाग के सिफारिश पर इसमें शामिल किया गया।

रिकवरी प्रोग्राम

  • यह प्रोग्राम केंद्रीय वित्त पोषित योजना, वन्यजीव आवास के एकीकृत विकास (आईडीडब्ल्यूएच) के तीन घटकों में से एक है। यह वर्ष 2008-09 में शुरू किया गया था। आईडीडब्लूएच संरक्षित क्षेत्रों (राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभ्यारण्य, कन्जर्वेशन रिजर्व और टाइगर रिजर्व को छोड़कर कम्युनिटी रिजर्व) को संरक्षित करने के लिए है, संरक्षित क्षेत्रों के बाहर वन्यजीवों की सुरक्षा और गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों और आवासों को बचाने के लिए रिकवरी प्रोग्राम सहायता प्रदान करता है।
  • अब तक, इस रिकवरी कार्यक्रम के तहत 17 प्रजातियों की पहचान की गई है। ये हैं- हिम तेंदुए, बस्टर्ड (फ्लोरिकेन्स समेत), डॉल्फिन, नीलगिरी ताहर, हंगुल, समुद्री कछुए, एडिबल नेस्ट स्विफ्टलेट, डुगोंग, एशियाई जंगली बफेलो, निकोबार मेगापोड, मणिपुर ब्रो-एंटीलेड हिरण, गिद्ध, मालाबार सिवेट, इंडियन राइनोसेरोस, एशियाई शेर , स्वैम्प हिरण और जेरडन कौर्सर।