वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक 2018

वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक 2018 में भारत को शीर्षस्थ छह सर्वाधिक सुभेद्य देशों में शामिल किया गया है। इस सूचकांक के अनुसार अत्यधिक गरीब आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती है जिनमें जलवायु के परिवर्तन की संभावना होती है और उनके व्यवसाय भी अत्यधिक जलवायु संवेदी होते हैं यथा मत्स्य पालन। इसलिए भावी जलवायु परिवर्तनों के जीवन स्तर पर महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकते हैं।

  • इसके साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के प्रभाव में प्रकटन के स्तर और व्यक्तियों, परिवारों तथा समुदायों की अंतर्निहित ग्रहण क्षमताओं के स्तर के अनुसार अत्यधिक भिन्नता होगी।
  • धारणीय विकास और जलवायु परिवर्तन के संबंध में भारत के प्रयासों से अनेक सक्रिय परिणाम सुनिश्चित हुए हैं। प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए असीम वित्तीय अपेक्षाएं हैं। फिर भी जलवायु परिवर्तन को नीति निर्णयों में अत्यधिक महत्व दिया गया है। पंद्रहवें वित्त आयोग के विचारार्थ विषयों में जलवायु परिवर्तन को विचार के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू के रूप में उल्लेख किया है।