जलवायु परिवर्तन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

विश्व बैंक द्वारा जून, 2018 में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते हुये तापमान और बदलते मानसून वर्षा प्रतिरूप से वर्ष 2050 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 2-8 फीसदी नुकसान होने तथा लगभग आधी आबादी के जीवन स्तर में गिरावट होने का अनुमान है।

‘‘दक्षिण एशियाई हॉटस्पॉटः तापमान एवं वर्षण में परिवर्तन से जीवन स्तर पर प्रभाव’’ (South Asia's Hotspots : The Impact of Temperature use and Precipitation Changes on Living Standard) नाम से जारी इस रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया की आधी आबादी ऐसे स्थानों में रह रही है जिनके जीवन स्तर में इसके चलते अवनति होगी।

मुख्य तथ्य

  • रिपोर्ट के अनुसार प्रभावित क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि उत्पादकता में व श्रम उत्पादकता में कमी तथा स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है।
  • पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते की अनुशंसा के अनुसार निवारक उपाय किये जाने पर भी भारत के औसत वार्षिक तापमान में 2050 तक 1° से 2° से. के मध्य बढ़ोतरी का अनुमान है। यदि कोई उपाय न किये जायें तो भारत के औसत वार्षिक तापमान का 1.5° से 3° से. के मध्य बढ़ोतरी का अनुमान है।
  • रिपोर्ट के अनुसार प्रभावित राज्यों एवं जिलों को हॉटस्पॉट के रूप में चिह्नित किया गया है। लगभग 600 मिलियन (60 करोड़) लोग वर्तमान में इन स्थानों में रहते हैं जो कि 2050 तक मध्यम या गंभीर हॉटस्पॉट में परिवर्तित हो सकते हैं।
  • 2050 तक सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के जीवन स्तर में 9% से अधिक की गिरावट का अनुमान है।
  • सर्वाधिक प्रभावित 10 हॉटस्पॉट जिलों में से सर्वाधिक 7 जिले महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र से हैं।