नागर विमानन

भारतीय घरेलू विमानन बाजार का विश्व में तीसरा स्थान है और इसके यात्री संख्या के मामले में 2024 तक ब्रिटेन को पीछे छोड़कर विश्व का तीसरा सबसे बड़ा यात्री विमानन बाजार बन जाने की संभावना है। घरेलू विमानन बाजार के मामले में भारत, चीन और अमेरिका से पीछे है।

  • 18 फरवरी, 1911 कोभारत में पहली वाणिज्यिक नागरिक उड़ान नैनी से इलाहाबाद के मध्य 6 मील (9.7 किमी) की दूरी के लिए प्रारम्भ हुआ। फ्रांसीसी विमानवाहक हेनरी पेक्वेट ने 6,500 डाक पत्र को पहुँचाया था। यह दुनिया की पहली आधिकारिक एयरमेल सेवा थी। 15 अक्टूबर 1932 को जे.आर.डी. टाटा ने कराची से जुहू हवाई अड्डे तक मेल की एक खेप पहुँचायी थी। यह एयरलाइन बाद में एयर इंडिया बन गई।
  • विमानन नियामक डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) द्वारा जारी किए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 2011 में 67 की तुलना में 2018 में घरेलू हवाई यातायात लगभग प्रति घंटे 100 उड़ान भरने के साथ 120 मिलियन से अधिक यात्रियों के साथ दोगुना हो गया। 2011 में लगभग 60 मिलियन यात्री थे, जो बढ़कर 2017 में 120 मिलियन से अधिक हो गए। वर्ष 2017 में यात्री यातायात में 18% की वृद्धि हुई थी। इसके अतिरिक्त 2011 में उड़ानें अपनी पूरी क्षमता का मात्र 75.5% संचालित होती थी, जो बढ़कर 2017 में 86.1% हो गया।
  • पिछले सात वर्षों में विमानन उद्योग में विदेशी निवेश का प्रवाह बढ़ा है। सरकार ने अनुसूचित हवाई परिवहन सेवा, क्षेत्रीय हवाई परिवहन सेवा और घरेलू अनुसूचित यात्री एयरलाइन में स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी है; लेकिन 49 प्रतिशत से अधिक एफडीआई को सरकार की मंजूरी की आवश्यकता होगी।
  • क्षेत्रीय संपर्क योजना, अब अपने दूसरे दौर में प्रवेश कर चुकी है, जिसके तहत 325 मार्गों पर एयरलाइन और हेलीकॉप्टर ऑपरेटरों को पहाड़ी और दूरदराज के क्षेत्रों में उड़ान सेवाओं को बढ़ाने के उद्देश्य के लिए प्रोत्साहित किया गया है। नवंबर 2018 में भारत सरकार ने सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत छः एएआई हवाई अड्डों के प्रबंधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी। ये हवाई अड्डे अहमदाबाद, जयपुर, लखनऊ, गुवाहाटी, तिरुवनंतपुरम और मंगलुरु में स्थित हैं।
  • देश में हवाई यात्रा क्षेत्र में विस्तार की व्यापक संभावना है; क्योंकि हवाई यात्रा परिवहन देश की अधिकांश जनता की पहुंच से परे है। नागरिक विमानन की गुणवत्ता, लागत और यात्री हित पर ध्यान देने की आवश्यकता है, जो इसे 2025 तक तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाजार बनने में सक्षम करेगा।