सागरमाला परियोजना

भारत सरकार द्वारा देश के लाजिस्टिक क्षेत्र के प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए सागरमाला परियोजना प्रारम्भ किया गया है। कार्यक्रम में इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक ढांचागत निवेश को कम करने हेतु जलमार्ग और समुद्र तट की पूर्ण क्षमता उपयोग की परिकल्पना की गई है।

  • परियोजना का मुख्य उद्देश्य निवेश द्वारा विकास करना है। 8-5 ट्रिलियन निवेश (2018) द्वारा भारत के मौजूदा बंदरगाहों को आधुनिक बनाने, 14 तटीय आर्थिक क्षेत्रों (सीईजेड) और तटीय रोजगार इकाइयों के विकास, सड़क, रेल, मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्कों, पाइपलाइनों एवं जलमार्गों के माध्यम से पोर्ट कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए तटीय सामुदायिक विकास, 110 बिलियन यूएस डॉलर का माल निर्यात और लगभग एक करोड़ प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन करना है।
  • सागरमाला कार्यक्रम के तहत 2015-2035 के अवधि में पोर्ट आधुनिकीकरण और नए बंदरगाह विकास, बंदरगाह कनेक्टिविटी बढ़ाने, बंदरगाह से जुड़े औद्योगीकरण और तटीय सामुदायिक विकास के क्षेत्रों में कार्यान्वयन के लिए 577 से अधिक परियोजनाओं की पहचान की गई है।

सागरमाला परियोजना के निम्नलिखित घटक हैं:

  • बंदरगाह आधुनिकीकरण और नए बंदरगाह विकासः मौजूदा बंदरगाहों की डी-बॉटल (क्म-इवजजसमदमबापदह) एवं क्षमता विस्तार और नए ग्रीनफील्ड बंदरगाहों का विकास।
  • बंदरगाह संपर्क संवर्द्धनः घरेलू जलमार्गों - अंतर्देशीय जल परिवहन और तटीय शिपिंग सहित मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स समाधानों के माध्यम से कार्गो संचालन की लागत और समय अनुकूलन के लिए बंदरगाह संपर्क को बढ़ाना।
  • पोर्ट-लिंक्ड औद्योगीकरणः लॉजिस्टिक्स लागत और कार्गो के समय को कम करने के लिए पोर्ट के निकट औद्योगिक क्लस्टर तथा तटीय आर्थिक क्षेत्र विकसित करना।
  • तटीय सामुदायिक विकासः कौशल विकास और आजीविका उत्पादन गतिविधियों, मत्स्य विकास, तटीय पर्यटन आदि के माध्यम से तटीय समुदायों के सतत विकास को बढ़ावा देना।
  • तटीय नौवहन और अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहनः कार्गो संचालन के माध्यम से टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल तटीय एवं अंतर्देशीय जलमार्ग को प्रोत्साहन देना।