CSO और NSSO विलयः सांख्यिकीय संस्थानों का सुधार

23 मई, 2019 को सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) और राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) में विलय करने का आदेश पारित किया।

विकास संख्या और डेटा सिस्टम की विश्वसनीयता का मुद्दा

मई में एनएसएसओ ने एक रिपोर्ट पेश की, जिसमें भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की गणना के लिए उपयोग किए जाने वाले अपरिष्कृत डेटा की विश्वसनीयता पर गंभीर संदेह जताई गयी थी।

पृष्ठभूमि

वर्ष 2000 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन की अध्यक्षता में गठित एक समिति ने सभी प्रमुख सांख्यिकीय गतिविधियों के लिए नोडल निकाय के रूप में एनएसओ की स्थापना का सुझाव दिया था। यह राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के तहत काम करता था, जो सरकार के लिए नहीं, बल्कि संसद के प्रति जवाबदेह था।

इसका उद्देश्य डेटा के संग्रह, गणना और डेटा प्रसार में सुधार करना था। NSC की स्थापना जून 2005 में की गई थी, लेकिन इसकी वैधानिक भूमिका नहीं थी। इसे सांख्यिकीय प्रणाली के एक अंग, एनएसएसओ के पर्यवेक्षण की शक्तियां दी गई थी।

एक एनएसओ का विचार, जिसमें एनएसएसओ और सीएसओ शामिल होंगे, पूरा नहीं हुआ और फिर 2005 के निर्णय ने प्रस्तावित किया कि राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन, ‘सांख्यिकी के लिए सरकार की कार्यकारी शाखा’के रूप में कार्य करेगा, ‘जो राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग द्वारा निर्धारित नीतियों और प्राथमिकताओं के अनुसार कार्य करेगा।’

दोनों विंग वर्तमान में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) का हिस्सा हैं और स्वतंत्र रूप से कार्य कर रहे हैं।

सीएसओ, आर्थिक वृद्धि डेटा (जीडीपी), औद्योगिक उत्पादन और मुद्रास्फीति जैसे व्यापक आर्थिक डेटा प्रस्तुत करता है। जबकि एनएसएसओ बड़े पैमाने पर सर्वेक्षण करता है और स्वास्थ्य, शिक्षा, घरेलू खर्च और अन्य सामाजिक और आर्थिक संकेतकों पर रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।

NSSO ने कहा कि यह MCA-21 में शामिल 38.7% कंपनियों का न तो पता लगा सकता है और न वर्गीकृत कर सकता है।

NSSO ने पाया कि MCA-21 डेटाबेस तैयार करने से सम्बंधित मुद्दों से आर्थिक जनगणना और व्यवसाय रजिस्टर के डेटा बहुत कम प्रभावित हुए थे।

सरकार पर विकास के आंकड़ों में हेरफेर और रोजगार के आंकड़ों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया गया। आंकडे़ सही होने चाहिए, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय संगठन किसी देश की विकास प्रक्षेपवक्र और आर्थिक क्षमता के अनुमानों पर पहुंचने के लिए इन पर निर्भर रहते हैं। ये अनुमान उन्हें निवेश और व्यापार से संबंधित निर्णय लेने में मदद करते हैं।

विलय का प्रभाव

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के अनुसार, नया ढांचा अपने वर्तमान नोडल कार्यों को सुव्यवस्थित और व्यवस्थित करेगा और मंत्रालय के भीतर अपने प्रशासनिक कार्यों को एकीकृत करके अधिक तालमेल सुनिश्चित करेगा।

  • इससे मजबूत और विश्वसनीय डेटा जनरेशन सुनिश्चित होगा तथा डेटा संग्रह एवं प्रसार में अधिक दक्षता आएगी।
  • स्पष्ट डेटा के आधार पर बेहतर नीति निर्माण संभव हो सकेगा, जो बेहतर निर्णय लेने में सहायक होगा और अर्थव्यवस्था को समृद्धि की ओर ले जाएगा।
  • अर्थव्यवस्था की बाधाओं की पहचान की जा सकेगी और समुचित सुधार किया जा सकेगा।
  • अर्थव्यवस्था के कमजोर क्षेत्रों की पहचान की जाएगी और नीतियां कुशलता से उन्हें लक्षित कर सकती हैं।

चुनौतियां

सीएसओ और एनएसएसओ का विलयः सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय से अलग इकाई एनएसएसओ की स्वायत्तता छीन जाएगी। आदेश से ऐसा प्रतीत होता है कि यह एनएससी के स्वतंत्र निरीक्षण तंत्र के अस्तित्व को नकारती है और इसका कोई उल्लेख भी नहीं किया गया है।

आदेश स्पष्ट रूप से सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन सचिव के अंतर्गत विलय की गई इकाई को लाता है। यह उस प्रक्रिया की स्वतंत्रता के बारे में सवाल उठाता है, जिसके माध्यम से अधिकारिक सर्वेक्षण डेटा एकत्र और प्रकाशित किया जाता है।

आर्थिक डेटा के प्रस्तुतिकरण में पारदर्शिता की कमी डेटा पर संदेह का कारण बन सकती है। चीन जैसे देशों में भी इसी तरह का मुद्दा रहा है; जहां अधिकारिक आर्थिक आंकड़ों में लगातार छेड़छाड़ होने के कारण विश्लेषकों ने उन पर भरोसा करना छोड़ दिया है।

सुझाव

यह रंगराजन समिति द्वारा प्रस्तावित मूल योजना के विपरीत है, जिसके अनुसार एकीकृत सांख्यिकी निकाय बनाने के लिए विभिन्न सांख्यिकीय निकायों जैसे एनएसएसओ और अन्य का विलय किया जाना चाहिए तथा उन्हें सरकार के बजाय संसद के प्रति जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। अतः इस नई संस्था को संसद के अधीन लाया जाना चाहिए।