राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति 2019

राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति 2019 (NPE 2019), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित किया गया है। यह नीति भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (ईएसडीएम) के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने की परिकल्पना करता है। इस नीति में विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी उद्योग के निर्माण के लिए अनुकूल माहौल बनाना शामिल है, जिससे चिपसेट सहित महत्वपूर्ण घटकों को देश में विकसित करने को प्रोत्साहित किया जा सके।

उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के मजबूत आधार को जनसांख्यिकीय लाभांश, प्रयोज्य आय और उद्यमों की संवृद्धि दर्शाता है, जो विकास को प्रोत्साहन देने वाले कारक हैं। भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग की मजबूत वृद्धि मुख्य रूप से इन उत्पादों की भारी घरेलू मांग से प्रेरित है, जिसके निम्नलिखित कारक है- बढ़ता मध्यम वर्ग, बढ़ती प्रयोज्य आय, अनुकूल शुल्क संरचनाएं और बड़े पैमाने पर सरकारी परियोजनाओं के लिए सार्वजनिक खरीद।

लक्ष्यः वर्ष 2025 तक 400 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग 26,00,000 करोड़ रुपये) का कारोबार हासिल करने हेतु आर्थिक विकास के लिए ईएसडीएम की समूची वैल्यू चेन में घरेलू विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा दिया जाएगा। इसमें वर्ष 2025 तक 190 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग 13,00,000 करोड़ रुपये) मूल्य के एक अरब (100 करोड़) मोबाइल हैंडसेटों का लक्षित उत्पादन शामिल होगा; जिसमें निर्यात के लिए 100 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग 7,00,000 करोड़ रुपये) मूल्य के 600 मिलियन (60 करोड़) मोबाइल हैंडसेटों का उत्पादन करना भी शामिल है।

एनपीई 2019 की मुख्य विशेषताएं

वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी ईएसडीएम सेक्टर के लिए अनुकूल माहौल बनाया जाएगा। प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जों के विनिर्माण के लिए प्रोत्साहन एवं सहायता दी जाएगी।

  • ऐसी मेगा परियोजनाओं के लिए प्रोत्साहनों का विशेष पैकेज दिया जाएगा, जो अत्यंत हाई-टेक हैं और जिनमें भारी-भरकम निवेश की जरूरत है। इनमें सेमी कंडक्टर सुविधाएं, डिस्प्ले फैब्रिकेशन इत्यादि शामिल हैं।
  • नई यूनिटों को बढ़ावा देने और वर्तमान यूनिटों के विस्तारीकरण के लिए उपयुक्त योजनाएं और प्रोत्साहन देने से जुड़ी व्यवस्थाएं बनाई जाएंगी।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स के सभी उप-क्षेत्रों में उद्योग की अगुवाई में अनुसंधान एवं विकास और नवाचार को बढ़ावा दिया जाएगा। इनमें बुनियादी या जमीनी स्तर के नवाचार और उभरते प्रौद्योगिकी क्षेत्रों जैसे कि 5जी, आईओटी/सेंसर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), मशीन लर्निंग, वर्चुअल रियल्टी (वीआर), ड्रोन, रोबोटिक्स, एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग, फोटोनिक्स, नैनो आधारित उपकरणों इत्यादि के क्षेत्र में प्रारंभिक चरण वाले स्टार्ट-अप्स भी शामिल हैं।
  • कुशल श्रमबल की उपलब्धता में उल्लेखनीय वृद्धि के लिए प्रोत्साहन और सहायता दी जाएगी। इसमें कामगारों का कौशल फिर से सुनिश्चित करना भी शामिल है।
  • फैबलेस चिप डिजाइन उद्योग, मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक उपकरण उद्योग, ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग और मोबिलिटी एवं रणनीतिक इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिए पावर इलेक्ट्रॉनिक्स पर विशेष जोर दिया जाएगा।
  • ईएसडीएम क्षेत्र में आईपी के विकास एवं अधिग्रहण को बढ़ावा देने के लिए सॉवरेन पेटेंट फंड (एसपीएफ) बनाया जाएगा।
  • राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर करने के लिए विश्वसनीय इलेक्ट्रॉनिक्स मूल्यशृंखला (वैल्यू चेन) से जुड़ी पहलों को बढ़ावा दिया जाएगा।

प्रभाव

एनपीई 2019 को कार्यान्वित करने पर संबंधित मंत्रालयों/विभागों के परामर्श से देश में ईएसडीएम सेक्टर के विकास के लिए अनेक योजनाओं, पहलों, परियोजनाओं इत्यादि को मूर्त रूप देने का मार्ग प्रशस्त होगा।

  • इससे भारत में निवेश एवं प्रौद्योगिकी का प्रवाह सुनिश्चित होगा, जिससे देश में ही निर्मित इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के ज्यादा मूल्य वर्द्धन और देश में इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर के अधिक उत्पादन के साथ-साथ उनके निर्यात का मार्ग भी प्रशस्त होगा, जिससे रोजगार के पर्याप्त अवसर पैदा होंगे।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स पर भारत के फोकस के साथ, इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के लिए युवाओं की बढ़ती मांग से ईएसडीएम क्षेत्र में काफी तेज दर से वृद्धि होगी।