जिला विकलांगता पुनर्वास केंद्र योजना

इसे सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के एक आउटरीच कार्यक्रम के रूप में शुरू किया गया, लेकिन दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के पारित होने और इसके प्रभाव का आंकलन करके इस योजना को समायोजित किया गया।

  • योजना का उद्देश्य जिला स्तर पर बुनियादी ढांचे का निर्माण और पुनर्वास पेशेवरों के क्षमता निर्माण के लिए प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान करना है।
  • सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट (2018-19) के अनुसार, कुल 310 जिले DDRC की स्थापना के लिए स्वीकृति प्रदान की है, जिनमें से 263 सक्रिय हैं।

अन्य कमजोर वर्गों का सशक्तिकरण

अन्य कमजोर वर्गों में बुजुर्ग (60 से ऊपर), नशीली दवाओं का दुरुपयोग करने वाले, हाथ से मैला ढोने वाले, अनुसूचित जातियां आदि शामिल हैं। महिलाओं और बच्चों के बाद यह सबसे कमजोर समूह है। ये आश्रित होते हैं एवं भेदभाव का सामना करते हैं। इसलिए इन्हें विशेष नीति निर्देशों की आवश्यकता है, जिसका चर्चा की गई हैः

वृद्ध व्यक्तियों के लिए एकीकृत कार्यक्रम

इसे 1992 में प्रारंभ किया गया था, जिसे 2018 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा संशोधित किया गया। इसका उद्देश्य भोजन, आश्रय, चिकित्सा देखभाल और मनोरंजन जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करके वरिष्ठ नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है।

  • इस योजना के तहत, गैर-सरकारी/स्वैच्छिक संगठनों, पंचायती राज संस्थाओं को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यह जम्मू और कश्मीर, सिक्किम और उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए 95 प्रतिशत तथा अन्य राज्यों के लिए 90 प्रतिशत तक होती है। इसके अंतर्गत वृद्धावस्था गृह, मल्टी-सर्विस सेंटर, मोबाइल मेडिकेयर इकाइयां, अल्जाइमर/डिमेंशिया रोगी के लिए डे-केयर सेंटर, वृद्ध व्यक्तियों के लिए फिजियोथेरेपी क्लीनिक आदि स्थापित किये जाते हैं।
  • कार्यक्रम मुख्य रूप से गैर-सरकारी / स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है।
  • कार्यक्रम के अंतर्गत देश में 450 से अधिक गैर-सरकारी संगठनों को सूचीबद्ध किया गया है।